किसी जमाने में इंटरनेट की दुनिया में बड़ा नाम रहा Yahoo आज पूरी तरह से गायब हो चुका है. यह इस तरह से गायब होगा, ऐसा कभी किसी ने नहीं सोचा था पर यह Yahoo की खुद की गलतियों की देन है जिसका नतीजा आज वह भुगत रहा है. जब गूगल, फेसबुक, ट्विटर, विकिपीडिया जैसे वर्ल्ड क्लास वेबसाइट का कोई नाम नहीं जानता था. उस वक्त yahoo का सिक्का चलता था. फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियां भी उस जमाने में yahoo के दरवाजे पर चक्कर लगा रही थी कि उन्हें खरीद ले लेकिन कहिए कि yahoo का दुर्भाग्य था कि उसने ऐसे ऑफर को ठुकरा दिया और आज पूरी तरह से गुमनाम हो चुका है. आज हम आपको बताएंगे yahoo ने किन गलतियों के कारण अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली थी. अगर वह थोड़ी सी समझदारी दिखाते तो शायद आज स्थिति कुछ और होती.
Yahoo कंपनी का परिचय Yahoo एक सर्च इंजन है जिस पर आप कुछ भी सर्च कर सकते हैं. Yahoo सर्च इंजन के अलावा अपने यूजर्स को 40 से अधिक सेवा देता था. यहां पर आप कैलेंडर, न्यूज़, इमेज, फाइनेंस, गैजेट, रियल एस्टेट, याहू मेल, म्यूजिक, स्पोर्टस, मूवी आदि सभी के बारे में जानकारी हासिल कर सकते थे. 1994 में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के दो छात्र जैरी यंग और डेविड फिलो ने इसकी शुरुआत की थी. 1998 आते-आते Yahoo और इंटरनेट एक दूसरे की पर्याय बन गए. उस वक्त इंटरनेट पर काम करने वाला हर व्यक्ति Yahoo के बारे में जानता था और उसकी सर्विस कहीं ना कहीं इस्तेमाल करता था. याहू को सबसे बड़ा झटका साल 2001 में लगा. 3 जनवरी 2000 को कंपनी का शेयर 118 डॉलर पर चल रहा था लेकिन ग्लोबल स्लो डाउन के बाद Yahoo के शेयर का भाव 26 सितंबर 2001 को करीब $8 पर आ गया. यहीं से yahoo.com की कमर टूट गई और इसके बाद झटका लगता गया.
Yahoo कंपनी के फेल होने की दो बड़ी वजह 1997 में Yahoo ने सिर्फ एक मिलियन डॉलर में गूगल को खरीदने की पेशकश ठुकरा दी थी. कारण यह था कि डेविड ए वाइज की द गूगल स्टोरी के मुताबिक Yahoo अपनी वेबसाइट से ट्रैफिक डायरेक्ट नहीं करना चाहता था. इसलिए Yahoo ने इसे रिजेक्ट कर दिया क्योंकि कंपनी चाहती थी कि यूजर Yahoo पर ज्यादा वक्त बिताए. गूगल सर्च इंजन को इस तरह तैयार किया गया था कि वह लोगों के सवालों को तुरंत जवाब देकर उन्हें संबंधित वेबसाइट पर भेज दे. 5 साल बाद Yahoo के पास गूगल को खरीदने का एक और मौका आया पर उसने इस मौके को भी गवां दिया. उस समय तक गूगल सिर्फ सर्च इंजन था जो कुछ ही सेकंड में सर्च रिजल्ट देकर यूजरों को उनके काम की वेबसाइट तक पहुंचाता था, उधर Yahoo चाहती थी कि यूजर उनके वेबसाइट पर ही रहे इसलिए yahoo.com को डिजाइन भी ऐसे ही किया गया था कि यूजर ईमेल चेक करने, गेम खेलने और खरीदारी करने जैसे काम एक ही विंडो पर कर ले. इतना ही नहीं 2006 में गूगल की तरह Yahoo के पास फेसबुक खरीदने का भी मौका था, जिसने एक अरब डॉलर की बोली लगाई गई थी, लेकिन Yahoo ने यह भी मौका गवां दिया.