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बिना किसी ड्राइवर के 100 किलोमीटर से अधिक दौड़ी थी यह ट्रेन, जिसमें मौजूद था खतरनाक केमिकल

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बिना किसी ड्राइवर के 100 किलोमीटर से अधिक दौड़ी थी यह ट्रेन, जिसमें मौजूद था खतरनाक केमिकल

अब तक फिल्मों में हमने कई ऐसे किस्से सुने हैं जिसमें बिना ड्राइवर के ही ट्रेन चलती है जो फिल्मों में तो बड़ा मजेदार लगता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि असल जिंदगी में भी एक बार इस तरह की घटना हो चुकी है. जब बड़ी मशक्कत से बिना ड्राइवर की चलती ट्रेन को रोका गया था. बिना ड्राइवर की यह ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही थी. अगर उसे रोक न गया होता तो एक भयानक हादसा हो जाता. आज हम अमेरिका के उस ट्रेन के बारे में बताने जा रहे हैं जिस पर अगर यदि काबू नहीं किया जाता तो यह एक बहुत बड़ी हादसे का कारण बन जाती लेकिन अधिकारियों की सूझबूझ के कारण यह हादसा टल गया.

अमेरिका के द अनस्टॉपेबल ट्रेन का परिचय
यह अमेरिका की एक मालगाड़ी थी जिसका इस्तेमाल लोहा लक्कर और कुछ केमिकल के सामानों को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने के लिए किया जा रहा था. यह ट्रेन अमेरिका के टोलेडो से कोलंबस जा रही थी. इस ट्रेन में एक लोकोमोटिव इंजन था. इस ट्रेन में इतना खतरनाक केमिकल था कि अगर यह फट जाता तो न जाने कितनी तबाही होती पर ऐसा होने से बचा लिया गया. यह पूरा हादसा 15 मई 2001 का है. 8888 नंबर की एक लोकोमोटिव इंजन के साथ 47 बोगियां थी जिसमें से ज्यादातर खाली थी, पर कुछ बोगियों में लोहा लक्कड़ का सामान भरा हुआ था और दो बोगी किसी टॉक्सिक केमिकल से भरी थी, जो पेंट और गोंद बनाने के काम में आता है. दोपहर 12:00 बजे इंजीनियर इंजन पर चढ़ता है और उसे दूसरे ट्रैक पर ले जाने के लिए एक स्विच दबाना होता था. वह ब्रेक दबाकर उतरकर स्विच चेंज करने चला गया. उसे लगा था कि स्विच बदलकर वह दोबारा ट्रेन में चढ़ जाएगा लेकिन उसने देखा कि ट्रेन की स्पीड बढ़ते जा रही है. उसने चढ़ने की कोशिश की और उसका पैर फिसल गया. तब तक ट्रेन 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ चुकी थी.

अमेरिकी रेलवे विभाग ने किस प्रकार अपने सूज-बुझ से और ड्राइवर की बहादुरी से इस ट्रेन को रोका
रफ्तार बढ़ने के कारण इंजीनियर लगभग 80 फीट तक इंजन की रेलिंग से लटके हुए घिसने के बाद उसने रेलिंग छोड़ दी. ब्रेक मैन और कंडक्टर ने जब यह सब देखा तो आनन-फानन में अपनी कार ट्रेन के साथ दौड़ा दी लेकिन उस वक्त ट्रेन की स्पीड धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी और कुछ ही देर में यह गति 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे हो गई. उस वक्त ट्रेन 8888 आबादी भरे इलाकों और रोड क्रॉसिंग से बिना सायरन और सिटी बजाए भाग जा रही थी जो एक बहुत बड़े हादसे को न्योता दे सकती थी फिर अधिकारियों ने दिमाग लगाया और डनकर्क नाम की जगह पर खड़ी एक अन्य मालगाड़ी के ड्राइवर को तुरंत सूचना दी. ड्राइवर ने अपनी रेल के डिकपल पर उस ट्रेन का पीछा किया और 80 किलोमीटर की स्पीड पर इंजन को मालगाड़ी की आखिरी बोगी से जोड़ दिया. पीछे से जुड़े इंजन ने धीरे-धीरे ब्रेक लगना शुरू किया लेकिन दूसरी तरफ आगे का इंजन पूरी ताकत से ट्रेन को दूसरी दिशा में खींच रहा था. ट्रेन रुकी नहीं लेकिन उसकी स्पीड कम हो गई, जहां जैसे तैसे इंजन पर चढ़कर ब्रेक लगाया गया जिसके बाद ट्रेन पूरी तरह से रुक गई. यह पूरी घटना लगभग ढाई घंटे तक चली थी.

दूसरे इंजन से ट्रेन को जोड़ता जांबाज ड्राइवर.

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