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118 साल से लोगों को लज़ीज़ कबाब खिला रहा यह परिवार, लखनऊ का टुंडे कबाब है लाजवाब

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118 साल से लोगों को लज़ीज़ कबाब खिला रहा यह परिवार, लखनऊ का टुंडे कबाब है लाजवाब


आज के समय में बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिन्हें नॉनवेज खाना पसंद होता है. यही वजह है कि बड़े-बड़े ढा़बो और रेस्टोरेंट में नॉनवेज के अनेकों आइटम मौजूद होते हैं. अगर आप भी नॉनवेज के शौकीन है तो लखनऊ के टुंडे कबाब का स्वाद एक बार आपको जरूर चखना चाहिए, जिसने देश में रहने वाले नॉनवेज लवर ही नहीं बल्कि विदेशियों को भी अपना दीवाना बना दिया है. करीब 118 साल से एक परिवार लोगों को लजीज कबाब खिला रहा है. कोई भी व्यक्ति लखनऊ जाता है तो यहां पर इस कबाब का स्वाद जरुर चखता है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर टुंडे कबाबी रेस्टोरेंट की खासियत क्या है और क्यों लोग इसे इतना पसंद करते हैं.

लखनऊ के टुंडे कबाबी रेस्टोरेंट का परिचय
साल 1905 में पहली बार यहां अकबरी गेट में एक छोटी सी दुकान खोली गई जिसकी शुरुआत हाजी मुराद अली द्वारा की गई थी. उस वक्त यह बिना दांतो वाले नवाब के लिए शुरू किया गया था, जहां एक छोटी सी दुकान से इस सफर का आगाज हुआ. यह लखनऊ के पुराने इलाके की गलियों में देखने को मिल जाएगी. अपने स्वादिष्ट गलौटी कबाब, कोरमा और बिरयानी के लिए यह सालों से फेमस है. यहां के कबाब इतने मुलायम होती है कि मुंह में जाते ही पिघल जाते हैं. टुंडे कबाबी लखनऊ का एक स्ट्रीट फूड ज्वाइंट है जहां एक साइड में बाहर से ही लोग कबाब पैक करा कर ले जा सकते हैं और दूसरी तरफ से अंदर रेस्टोरेंट में बैठकर खाने की व्यवस्था भी है, लेकिन असली मजा तो लखनऊ में आता है. हाजी मुराद अली ने अपने मसाले का गुण अपने बेटे हाजी रईस को सिखाया जिनका हाल ही में इंतकाल हो गया और अब उनके जाने के बाद टुंडे कबाब को उनकी तीसरी पीढ़ी संभालेगी और स्वाद के इस बेमिसाल विरासत को आगे बढ़ाएगी.

टुंडे कबाबी के कबाब की क्या विशेषता है
यहां पर विशेष तौर से 120 मसाले का इस्तेमाल किया जाता है. हाजी परिवार के अलावा कोई दूसरा शख्स इसे बनाने की खास विधि और उसमें मिलाई जाने वाली मसाले के बारे में नहीं जानता. इस परिवार ने यह सीक्रेट आज तक किसी को नहीं बताया. यही वजह है कि जो कबाब का स्वाद यहां मिलता है. वह पूरे देश में और कहीं नहीं मिलता. एक बंद कमरे में पुरुष सदस्य उसे कच्चा छानकर तैयार करते हैं. इन मसाले में से कुछ तो ईरान और दूसरे देशों से भी मांगाए जाते हैं. यही वजह है कि इसका स्वाद शाहरुख खान से लेकर सुरेश रैना, अनुपम खेर और आशा भोंसले जैसे कलाकार के ज़ुबान पर भी उतर चुका है. टुंडे कबाब के अलावा यहां पर रुमाली रोटी, चिकन सीक कबाब और ब्लैक बफेलो कबाब, रोस्टेड चिकन, चिकन टंगड़ी भी मिलती है. सबसे खास बात यह है कि इसका गलावटी कबाब अपने मसाले के कारण लोगों के पेट पर कोई खराब प्रभाव नहीं डालता और आसानी से पचता है. इस वजह से इसे वैश्विक स्तर पर प्रसिद्धि मिल चुकी है.

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