अक्सर आपने देखा होगा कि आप यदि समय पर अपनी ईएमआई नहीं भर पाते हैं या किसी कारणवश भूल जाते हैं तो आपको इसके लिए कॉल करके रिमाइंड कराया जाता है या किसी भी तरीके से आपको याद दिलाने की कोशिश की जाती है, पर इस वक्त देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने एक ऐसा रास्ता चुना है, जिसे सुनकर आपका भी दिल खुश हो जाएगा. आमतौर पर ऐसे ग्राहकों के घर पर बैंक रिकवरी एजेंट या बैंक के कर्मचारी वसूली के लिए जाते हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. जो लोन की किस्त नहीं चुकाते है अब उनके लिए SBI ने एक अनोखा रास्ता ढूंढ लिया है और बैंक अब उनके घर पर चॉकलेट लेकर पहुंचेगा. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर एसबीआई की इस अनोखी पहल के पीछे क्या मंशा है और इस चॉकलेट पॉलिसी से एसबीआई को किस तरह फायदा होने वाला है.
SBI की नई चॉकलेट पॉलिसी का परिचय भारतीय स्टेट बैंक द्वारा ईएमआई या लोन लौटने वाले ग्राहकों के घर पर SBI सरप्राइज चॉकलेट वितरित कर रहा है, जिस दौरान बैंक कर्मचारी चॉकलेट देकर मुंह मीठा करते हैं और आपको पेंडिंग ईएमआइ लोन के बारे में बताते हैं ताकि आप जल्द से जल्द पेमेंट कर सके. SBI को उम्मीद है कि इस पहल से उन्हें लोन की रीपेमेंट कनलेक्शन में अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा. बताया गया है कि जिन कर्जदारों के डिफॉल्ट की संभावना ज्यादा है. फिनटेक कंपनी के प्रतिनिधि उनके घर बिना किसी पूर्व सूचना के जाएंगे और वह अपने साथ चॉकलेट का एक पैकेट लेकर जाएंगे. उनसे मिलकर उन्हें लोन की ईएमआई चुकाने को याद दिलाएंगे. बैंक का यह प्रोजेक्ट फिलहाल पायलट स्टेज में है. SBI की ओर से जून 2023 तिमाही में बांटे गए लोन का आकडा़ 1204279 करोड रुपए पहुंच गया है, जो कि 1 साल पहले मात्र 1034111 करोड रुपए था.
चॉकलेट पॉलिसी अपनाने के बाद बैंक को कितना मुनाफा हुआ इसके लिए SBI बैंक ने दो फिनटेक कंपनियों के साथ साझेदारी की है. इस पॉलिसी के बाद एसबीआई के ग्राहक काफी खुश नजर आ रहे हैं, जहां अभी कुछ ग्राहकों ने तो समय पर अपना ईएमआई और लोन भरना शुरू भी कर दिया है. बस इसी तरह एसबीआई को अपने ग्राहकों से उम्मीद है. हालांकि इस बीच अभी भी कई ऐसे ग्राहक हैं जिन्हें इस पॉलिसी से कोई मतलब नहीं है, लेकिन SBI कहीं ना कहीं अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल होती नजर आ रही है. एक समय में जब ग्राहकों के दरवाजे पर बैंक की कर्मचारी आकर उनसे तू तू- मै मै करते थे, ऐसे में कर्मचारी के हाथों में चॉकलेट देख ग्राहक खुद लोन की किस्त भरने के लिए तैयार हो जा रहे हैं.
बैंक से जुड़े आपका अधिकार क्या-क्या हैं लोग बैंक में पैसे तो जमा कर देते हैं पर इससे जुड़े अपने अधिकार से वंचित रह जाते हैं. लोन लेने से पहले यह जान ले कि ग्राहक के खाते को तब नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट में डाला जाता है जब 90 दिनों तक वह बैंक को किस्त का भुगतान नहीं करता है. इस तरह के मामले में कर्ज देने वाले को डिफाल्टर को 60 दिन का नोटिस जारी करना पड़ता है. इतना ही नहीं एसेट की बिक्री से पहले बैंक वित्तीय संस्थान को एसेट का उचित मूल्य बताते हुए नोटिस जारी करता है, जिसमें रिजर्व प्राइस, तारीख और नीलामी के समय का भी जिक्र करने की जरूरत होती है. अगर एसेट को कब्जे में भी दिया जाता है तो भी नीलामी की प्रक्रिया पर नजर रखनी चाहिए. लोन की वसूली के बाद बची अतिरिक्त रकम को पाने का लैंडर को हक है. बैंक को इसे हर हाल में वापस लौटाना पड़ेगा. इतना ही नहीं कर्जदाता अपना लोन वसूलने के लिए रिकवरी एजेंट की सेवाएं ले सकते हैं, लेकिन यह अपनी हद पार नहीं कर सकते है.