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विद्यार्थियों को अवश्य लेना चाहिए मां ब्रह्मचारिणी के जीवन से सीख, ऐसे करें माता के दूसरे स्वरूप की पूजा

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विद्यार्थियों को अवश्य लेना चाहिए मां ब्रह्मचारिणी के जीवन से सीख, ऐसे करें माता के दूसरे स्वरूप की पूजा

नवरात्र के 9 दिन जितने पावन होते हैं, उतने ही ज्यादा भक्तों के लिए महत्वपूर्ण भी होते हैं जहां हर दिन माता रानी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. मां दुर्गा के 9 रूपो का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है. यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है. मां दुर्गा का यह स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है. इस दिन देवी दाएं हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण किए हैं. आज हम आपको बताएंगे नवरात्रि के दिन माता के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की किस प्रकार पूजा करें और खास तौर पर विद्यार्थी के लिए यह दिन इतना खास क्यों होता है. इस दिन किस विधि से पूजा करने से फल मिलता है और माता रानी की कृपा बरसती है.

माता के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी का परिचय
मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी भक्तों और सिद्धू को अनंत फल देने वाला है. इनके उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है. जीवन के कठिन संघर्षों में भी वह कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता. मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र, सिद्धी और विजय की प्राप्ति होती है. पूर्व जन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारद जी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. इस कठिन तपस्या के कारण इन्हे ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से विद्यार्थियों को विशेष लाभ प्राप्त होता है. अगर आप शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं तो इस दिन मां की आराधना अवश्य करना चाहिए. इस दिन दिव्य स्वरूप का पूजा करने से आलस, अहंकार, लोभ, जैसी दुष्प्रवृत्तियां दूर होती है. माता ब्रह्मचारी की पूजा से विद्यार्थियों और साधु संतों को विशेष लाभ प्राप्त होता है, जो भी पढ़ाई लिखाई करते हैं उन्हें इस दिन माता का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए.

कैसे करें माता ब्रह्मचारिणी की पूजा
सबसे पहले आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. इसके बाद मंदिर के पास आसन बिछाए और मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें. अगर आपके पास माता के स्वरूप की तस्वीर है तो उन्हें फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाए और भोग में पंचामृत सबसे पहले अर्पित करें. पंचामृत अर्पित करते समय ओम ऐं नमः का जाप 108 बार जरूर करें. इसके साथ ही मां ब्रह्मचारिणी को पांच सुपारी और लौंग अर्पित की जाती है. पूजा के उपरांत माँ ब्रह्मचारी की आरती करें और सभी को प्रसाद वितरीत करें.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मिलने वाले 5 लाभ
1. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति का मनस सुचिता एवं शुद्धि को प्राप्त करता है.

2. देवी का स्मरण करने से व्यक्ति के भीतर तप, त्याग और शील बढ़ता है.

3. माता की पूजा करने से घर में शांति और सुख की प्राप्ति होती है.

4. इस दिन साधक कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए भी साधना करते हैं, जिससे उनका जीवन सफल हो सके.

5. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम में वृद्धि होती है और जीवन के सभी परेशानियों का नाश होता है.

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