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तमिलनाडु में चलती ट्रेन से चोरी हुआ 5 करोड़ रुपया, फिल्मी स्टाइल में चोर ने घटना को दिया अंजाम

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तमिलनाडु में चलती ट्रेन से चोरी हुआ 5 करोड़ रुपया, फिल्मी स्टाइल में चोर ने घटना को दिया अंजाम

अक्सर आपने फिल्मों में चलती ट्रेन में चोरी होने का किस्सा तो जरुर सुना होगा जहां बड़े-बड़े चोर डकैत चलती ट्रेन पर किस तरह की घटना को बड़े ही सफाई से अंजाम देते हैं और किसी को पता भी नहीं चलता. ऐसी ही एक घटना तमिलनाडु में हुई. इसकी पूरी कहानी सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे. फिल्मी तरीके से तमिलनाडु में चलती ट्रेन में एक डकैती का मामला सामने आया है जहां इन ट्रेनों की कोच से रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया को 342 करोड रुपए कैश भेजे जा रहे थे जिनमें से डकैतों ने 5 करोड रुपए उड़ा दिए और किसी को कानों कान तक खबर नहीं हुई. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह कड़ी सुरक्षा होने के बावजूद भी चोरों ने इस घटना को पूरी सफाई से अंजाम दिया.

कैसे चोरों ने इस घटना को दिया अंजाम
यह पूरा मामला 8 अगस्त 2016 का है. इस दिन जिस ट्रेन से डकैती हुई उसे भारत के इतिहास में सबसे बड़ी ट्रेन डकैती मानी जाती है जिसे आधी रात में लुटेरों ने अंजाम दिया था. तमिलनाडु के सलेम से चेन्नई जाने वाली पैसेंजर ट्रेन थी जिसे एगमोर एक्सप्रेस के नाम से जाना जाता था. इस ट्रेन में एक बोगी रिजर्व थी जिसमें आरबीआई का 342 करोड रुपए ले जाया जा रहा था, जिसमें से लुटेरों ने 5.78 करोड रुपए चुरा लिए. जब तक ट्रेन सलेम से वृद्धाचलम का सफर पूरा करती तब तक लुटेरे डाका डाल चुके थे. जब ट्रेन रुकी और अधिकारी ने जब डिब्बा खोला तो अंधेरे के बीच एक बड़ा सा छेद नजर आ रहा था. अंदर जाकर देखा तो नोटों से भरे कुछ बॉक्स खुले पड़े मिले. यह सब देखकर आरबीआई और रेलवे के अधिकारी के पूरी तरह होश उड़ गए. बताया जाता है कि पेटी में 2005 से पहले की नगदी के साथ ही कटे-फटे नोट भी थे. हालांकि इसके कुछ हीं दिन बाद नोटबंदी लागू हो गई और डकैतों ने आधा पैसा जला दिया और पानी में बहा दिया.

पुलिस सुरक्षा के बावजूद कैसे हुई चोरी, कौन-कौन लोग थे शामिल
इस पूरे घटना के बाद सबसे बड़ा सवाल तो यह उठ रहा है कि इस नगदी के लिए मुहैया कराई गई पुलिस सुरक्षा के बावजूद चोरों ने कैसे घटना को अंजाम दिया. इस पूरी घटना में जांच होने के बाद एमपी के मोहन सिंह पारदी और उनके गैंग के 7 लोगों को 2 साल बाद अरेस्ट किया गया था. तब उन्होंने इस पूरी डकैती का राज खोला. बताया गया कि सलेम से ट्रेन छूटने के दौरान नोटों से भारी बोगी इंजन के बाद लगी हुई थी. डकैती गैंग को पता था कि बिरधाचलम के आगे इलेक्ट्रॉनिक इंजन की जगह डीजल इंजन लगा दिया जाता है क्योंकि यह ट्रैक इलेक्ट्रिक नहीं है. ऐसे में इंजन बदली के बाद बोगी सबसे पीछे हो गई और इस गैंग को यह पता था कि चिन्नासालेम और विरधाचलम रेलवे स्टेशन के बीच ट्रेन 45 मिनट से ज्यादा समय तक बिना रुके चलती है. रात का समय होने के कारण लुटेरो ने ट्रेन की बोगी के ऊपर बैठकर सफर करने का प्लान बनाया था और योजना के मुताबिक ट्रेन की बोगी बदलते ही गैंग के कुछ सदस्य डिब्बे पर जा चढे़ और कटर से छत को काट दिया. इसके बाद एक शख्स अंदर उतरा और उस डिब्बे से नोटों की गाड़ी निकाल कर लूंगी में बांधी और अपने दूसरे साथी को थमा दी जिसके बाद वह फरार हो गया.

ट्रेन की जांच करते अधिकारी.

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