ओ तेरी..
एक ऐसा इंसान जिन्होंने बना डाले ढाई लाख से अधिक चिड़ियों के घोसले, इन्हे कहते हैं भारत का ‘नेस्ट मैन’
लोगों को खुद के लिए घर बनाते तो देखा होगा जिसे लोग बड़े ही शौक से और अपनी सारे सुख सुविधाओं का ध्यान रखते हुए बनाते हैं, पर इस वक्त हम एक ऐसे शख्स की चर्चा करने जा रहे हैं जिसे भारत का नेस्ट मैन कहा जाता है और उन्होंने देशभर में चिड़ियों के रहने के लिए ढाई लाख घोसला बना दिए हैं. उनके इस पहल से प्राकृतिक को एक नई उड़ान मिली है. यह कहना गलत तो नहीं है कि इंसानों ने ही चिड़ियों का घर छीना है. अब ये हमारी ही जिम्मेदारी है कि उनके घर बनाएं. हमें प्राकृतिक की जरूरत है, प्राकृतिक को हमारी नहीं इसीलिए हमें प्रकृति के साथ मिलकर काम करना होगा. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह राकेश खत्री की नेस्ट मैन ऑफ इंडिया बनने की कहानी शुरू हुई और उसके लिए उन्हें क्या-क्या संघर्ष करने पड़े. तमाम मुश्किलों के बावजूद उन्होंने किस प्रकार सफलता पाई.
नेस्ट मैन राकेश खत्री का परिचय
राकेश खत्री का बचपन दिल्ली के चांदनी चौक में बीता. बचपन से ही उन्हें पशु पक्षियों से खास लगाव था. उनके घर की छत पर बहुत सारे घोसला थे, जहां वह देखते थे कि चिड़िया पंखों के अंदर घोंसला बना लेती है. उनके दादा ऐसा कहते थे कि अगर किसी ने पंखा चलाया और चिड़िया कट गई तो उस शख्स के कान काट दिए जाएंगे. इसके बाद 1980 में वह अशोकनगर शिफ्ट हो गए. तेजी से जिस तरह अर्बनाइजेशन हो रहा था जंगल और बाग खत्म हो रहे थे. चिड़ियों का घोंसला दिखना भी बंद हो गया था, जिस वजह से वह बेचैन होने लगे थे और फिर उन्होंने अपने कंधों पर यह जिम्मा उठाया. आखिरकार लाख प्रयास करने के बाद सफलता हासिल की.
ढाई लाख से अधिक चिड़ियों के घोसले बनाने की कहानी और उनके विभिन्न प्रयोग
जब उन्होंने इसकी शुरुआत की थी तो कई लोगों उनपर हंसते थे पर राकेश खत्री ने इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं की. उन्हें चीडि़यो का चहचहाना बहुत पसंद था. उन्हें जहां कहीं भी चिड़िया दाना चुगते हुए दिखती थी, वह घोंसला बनाने की कवायत शुरू कर देते थे. इतना ही नहीं वह आने वाली पीढ़ी को भी इस मुहिम के साथ जोड़ रहे हैं. देशभर में जाकर वह स्कूली बच्चों को चिड़ियों के घोसला बनाने की ट्रेनिंग भी दे चुके है. शुरुआत में उन्होंने नारियल के घोंसले बनाए और ऐसे 40 हौसलों को अलग-अलग जगह पर रखा गया था. कुछ समय बाद देखा गया कि इसमें चिड़िया नहीं आई और आधे से ज्यादा सूख गए. इसके बाद उनका खूब मजाक उड़ा पर उन्होंने रिसर्च की और फिर बंबू स्टिक से घोंसले बनाए. यहां पर उन्हें सफलता मिली. अभी तक वह देशभर में चिड़ियों के लिए ढाई लाख घोसला बन चुके हैं और कई बच्चों को भी इसके लिए प्रेरणा दे चुके हैं. यही वजह है कि उन्हें भारत का नेस्ट मैन कहा जाता है. सबसे खास बात यह है कि पिछले 14 सालों से वह लगातार सक्रिय है और इस क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं.
राकेश खत्री के जीवन की पांच प्रमुख बातें जो उन्हें बनाती है खास
1. उन्होंने अपने जीवन में जो भी करना चाहा उन्होंने इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं की कि लोग इस बारे में क्या सोचेंगे, वह बस आगे बढ़ते रहे.
2. राकेश खत्री ने उन बेजुबान पंछियों के बारे में सोचा जिनके बारे में लोग सोच कर भी नजरअंदाज कर देते है.
3. राकेश खत्री को पर्यावरण से बेहद प्यार है जो काफी कम लोगों को होता है. आज के समय में जिस तरह मॉर्डनाइजेशन हो रहा है, इस बीच वह पशु पक्षियों के लिए एक अलग स्थान बनाना चाहते हैं.
4. राकेश खत्री एक ऐसे शख्स है जो एक बार फेल हो जाने पर 100 बार दोबारा प्रयास करने की ताकत रखते हैं.