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मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप स्कंदमाता है अत्यंत कल्याणकारी, इस वजह से उनकी गोद में बैठा है यह बालक

धर्म- कर्म

मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप स्कंदमाता है अत्यंत कल्याणकारी, इस वजह से उनकी गोद में बैठा है यह बालक

इस वक्त नवरात्रि का पावन त्योहार चल रहा है, जहां हर दिन विशेष रूप से माता के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है और अलग-अलग दिन माता को भोग में अलग-अलग चीजे चढ़ाई जाती हैं. नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता देवी की पूजा की जाती है जिसे एकाग्रता की देवी भी कहा जाता है. आज हम आपको बताएंगे कि माता का यह स्वरूप किस प्रकार भक्तों के लिए कल्याणकारी है और किस वजह से मां के गोद में एक बालक बैठा है. साथ ही साथ हम बनारस के एक स्कंद माता मंदिर के बारे में भी चर्चा करेंगे जहां भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है. वहां पर मां उनकी हर मुरादे पूरी करती है.

मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंद माता का परिचय
स्कंदमाता का अर्थ है कार्तिकेय की माता. स्कंद माता मां पार्वती का एक रूप है, जिनकी चार भुजाएं हैं और वह सिंह पर विराजमान है. वह एक हाथ में कार्तिकेय जी को पकड़े हुए हैं, दूसरी ओर तीसरे हाथ में कमल रखती है और चौथे हाथ से भक्तों को आशीर्वाद देती है.
कहा जाता है कि तारकासुर नामक एक राक्षस था जिसका अंत केवल शिवपुत्र के हाथों ही संभव था. तब मां पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद यानी कार्तिकेय को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने के लिए स्कंदमाता का रूप लिया था. स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण लेने के बाद भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का अंत किया था. भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को स्कंद के नाम से जाना जाता था. भगवान स्कंद को माता पार्वती ने प्रशिक्षित किया था, इसलिए मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता कहते हैं. पूजा के समय स्कंद माता को केले का भोग लगाना चाहिए. केला अगर मौजूद न हो तो आप बताशे का भोग भी लगा सकते हैं.

बनारस में स्थित स्कंदमाता मंदिर
स्कंदमाता का यह मंदिर वाराणसी के जगतपुरा क्षेत्र स्थित बागेश्वरी देवी परिसर में स्थित है, जहां पर नवरात्रि के समय विशेष तौर पर भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर भक्तों द्वारा सच्चे मन से जो भी कुछ मांगा जाता है माता उनकी मुरादे पूरी करती है. माता के दर्शन मात्र से ही भक्तों के बिगड़े काम बन जाते हैं. यहां पर माता को प्रसाद के रूप में लाल चुनरी, सिंदूर, चुडी़ और नारियल का चढ़ावा चढ़ाया जाता है. भारत में स्कंदमाता का एकमात्र मंदिर वाराणसी में स्थित है. इस मंदिर के पहले तल पर स्कंदमाता का विग्रह है तो नीचे गुफा में माता बागेश्वरी का विग्रह है.

स्कंद माता की पूजा करने के फायदे
1. माता की पूजा करने और कथा पढ़ने से भक्तों को संतान सुख और सुख संपत्ति का वरदान मिलता है.

2. स्कंदमाता की उपासना से भक्ति की समस्त इच्छा पूर्ण होती है. इस मृत्यु लोक में ही उसे परम शक्ति और सुख का अनुभव होने लगता है.

3. स्कंद माता हमारे मन से बुरी प्रवृत्तियों का विनाश कर मन को एकाग्रचित करने में सहायता प्रदान करती है.

4.  माता की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन के हर मोड़ पर सफलता मिलती है.

5. जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर हो तो उन्हें स्कंदमाता की पूजा जरूर करना चाहिए जिससे शिक्षा, नौकरी, मान सम्मान में वृद्धि होती है.

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