भारत की सबसे लोकप्रिय ऑटोमोबाइल कंपनी महिंद्रा केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धूम मचा रही है. भारत के लोगों के साथ-साथ विदेशियों को भी इस कंपनी द्वारा बनाई जा रही कार के फीचर्स खूब रास आ रहे हैं. साउथ अफ्रीका में इस कंपनी ने अपनी अब तक की सबसे हाईएस्ट सेल दर्ज की है. महिंद्रा ने अपनी गाड़ियों को ग्लोबल बाजार में गहराई तक ले जाने के लिए तरह-तरह की तकनीक अपनाई है और कहीं ना कहीं यह काम भी कर रही है. यही वजह है कि साल दर साल धीरे-धीरे महिंद्रा टाटा से कोसों आगे निकलते जा रही है. इसके पीछे कंपनी की एक खास रणनीति है जिस वजह से यह कंपनी लगातार सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ रही है. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह इन दोनों कंपनियों ने सफलता हासिल की और किस प्रकार भारत के साथ-साथ देश के अलग हिस्सों में अपना व्यवसाय फैलाकर आज अपना काम कर रहे हैं.
महिंद्रा ऑटोमोबाइल्स के पहले सवारी गाड़ी की कहानी : आज जिसे लोग महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के नाम से जानते हैं वह पहले महिंद्रा एंड मोहम्मद था, जिसे आजादी से पहले 1945 में शुरू किया गया था. जब देश का बंटवारा हुआ तो एक ओर देश धर्म के आधार पर दो भागों में बट गया. हिंदू मुसलमान दोस्त मलिक गुलाम मोहम्मद और महिंद्रा ब्रदर्स भी बंट गए. इसके बाद दोनों ने अलग होने का फैसला लिया. हालांकि इस बीच कंपनी को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ा था पर महिंद्रा ब्रदर्स ने इसका नाम बदलकर आगे का रास्ता नए तरीके से शुरू किया. इसके बाद स्टील कंपनी से ऑटो कंपनी बनने का सफर शुरू हुआ और फिर कंपनी ने भारत में जीप का प्रोडक्शन शुरू कर दिया. जीप बनाने के कुछ समय बाद ही यह कंपनी लाइट कमर्शियल व्हीकल और ट्रैक्टर की मैन्युफैक्चरिंग भी करने लगी और इसी तरह कंपनी ऑटो सेक्टर में अपना दबदबा बनाने लगी. महिंद्रा ऐंड महिंद्रा का कारोबार आज 100 से अधिक देशों में फैला है और कंपनी में 3 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते है. मौजूदा समय में देखा जाए तो महिंद्रा दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और लैटिन अमेरिका के कुछ लेफ्ट हैंड ड्राइव बाजारों के साथ 30 देश में अपनी गाड़ियों का निर्यात करती है. टाटा मोटर्स टाटा ग्रुप का हिस्सा है जिसका हेडक्वार्टर मुंबई में स्थित है. 1870 में जमशेदजी टाटा ने इसकी शुरुआत की थी. अपने विश्व स्तरीय गुणवत्ता मौलिकता इंजीनियरिंग और डिजाइन उत्कृष्ट के लिए पहचाने जाने वाली कंपनी भारत में गतिशीलता के भविष्य को आकार देने की राह पर पहुंचती गई. 1954 में पहला वाणिज्यिक वाहन डेबलर बेंज एजी के सहयोग से निर्मित किया गया था, जो 1969 में समाप्त हो गया. उसके बाद 1991 में टाटा सिएरा की लांचिंग की गई. इसके बाद कंपनी ने स्वदेशी ऑटोमोबाइल विकसित करने की क्षमता हासिल करने के प्रयास तेज कर दिए. 1998 में टाटा मोटर ने अपनी पहली पैसेंजर कार इंडिका बाजार में उतारी थी जो रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट था.
किन वजहों से महिंद्रा की मांग विदेशों में ज्यादा है और टाटा कैसे पीछे छूट गई महिंद्रा की गाड़ियां अपने शक्तिशाली इंजनों के लिए प्रसिद्ध है जो उन्हें भारतीय सड़कों पर चलने के लिए आसान बनाती है. एक या दो नहीं बल्कि यह ब्रांड शक्तिशाली और कुशल इंजन की एक विस्तृत श्रृंखला पेश करता है. महिंद्रा की गाड़ियों की मांग पिछले कुछ सालों में काफी ज्यादा बढ़ गई है. भारी मांग के चलते ही कंपनी लगातार अपने सेल्स में इजाफा कर रही है. मौजूदा समय में देखा जाए तो टाटा मोटर्स बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड और वियतनाम में अपनी उपस्थिति दर्ज कर चुकी है.