ओ तेरी..
कश्मीर की वह वीर रानी जिसने गजनवी को चटाए थे धूल, उन्हें कहते हैं चुड़ैल रानी
भारत हमेशा से महानायकों का देश रहा है. इसी में एक नाम कश्मीर की रानी का आता है, जिसे इतिहास के पन्नों में चुड़ैल रानी का दर्जा प्राप्त है. यह उसे वक्त की बात है, जब महिलाएं अपनी सुरक्षा के लिए झांसी बन जाती थी, जिनके आगे अच्छे-अच्छे को घुटने टेकने पड़ते थे. आज भले ही इतिहास के पन्नों में ऐसे नाम धुंधले है लेकिन इनके कारनामें हर किसी को चौंका देंगे. आज हम रानी दिद्दा के बारे में बताने जा रहे हैं कि किस तरह उस दौर में उन्होंने बड़े-बड़े राजाओं को पस्त किया जब महिलाओं को घर से निकलने की आजादी तक नहीं थी और किस तरह रूढिवादी सोच को अपने ऊपर कभी हावी नहीं होने दिया. साथ ही साथ एक महिला होने के साथ ही उन्होंने किस प्रकार बड़े से बड़े युद्ध जीते, जंग लड़ी और अपने साम्राज्य को कभी किसी प्रकार का नुकसान होने नहीं दिया.
कश्मीर की रानी दिद्दा का परिचय
रानी दिद्दा का जन्म लोहार राजवंश जो कि वर्तमान में (पंजाब, हरियाणा) में हुआ था. उनके मां-बाप ने सिर्फ इसलिए उन्हें त्याग दिया क्योंकि वह अपंग पैदा हुई. नौकरानी का दूध पीकर पली बढी़ वह लड़की अपने अपंग होने को बाधा ना मानते हुए युद्ध कला में पारंगत हुई और तरह-तरह के खेलों में निपुणता हासिल की. उनके जीवन को एक नया मोड़ तब मिला जब एक दिन कश्मीर के सम्राट सेनगुप्त शिकार के लिए आए और उनकी नजर रानी दिद्दा पर पड़ी और उसे देखते ही उन्हें प्यार हो गया, जिसके बाद उन्होंने उनसे शादी करने का मन बना लिया. यहीं से दिद्दा के राजसी जीवन की शुरुआत हुई और फिर उन्होंने राजकाज में भी हाथ बटांना शुरू कर दिया. जीवन में सब कुछ अच्छा चल रहा था. वह लोहार वंश की राजकुमारी तथा उत्पल वंश की रानी बन चुकी थी, लेकिन अचानक उनके पति की मौत हो गई. इसके बाद उनकी जिंदगी का कठिन दौर शुरू हुआ, पर इस बीच वह एक मजबूत शासन के तौर पर उभरी. पति के निधन के बाद लोग उन पर दरबारी दबाव डालने लगे कि उन्हें पति के साथ सती हो जाना चाहिए, लेकिन रूढ़ियों का विरोध करते हुए उन्होंने अपने बेटे अभिमन्यु के लिए जीने का फैसला लिया और सती होने से इनकार किया फिर वह अपनी बेटे की राज्य संरक्षक बनी. रानी दिद्दा इतनी बुद्धिमान थी कि वह कुछ ही मिनट में बाजी पलट दिया करती थी. आज जिस सेना के कमांडो और गोरिल्ला वाॅरफेयर पर दुनिया चालाकी की जंग लड़ती है, वह इसी लंगडी रानी की देन है. चुड़ैल लंगडी रानी के इतिहास को खंगालने पर यह पता चलता है कि इसने 35000 सेना की टुकड़ी के सामने 500 की छोटी सी सेना के साथ युद्ध किया था और मात्र 45 मिनट में युद्ध जीत लिया था.
उन्हें क्यों कहते हैं चुड़ैल रानी
रानी दिद्दा ने अपनी बुद्धिमत्ता और वीरता के आगे कई बड़े-बड़े राजाओं को पस्त किया था. अपनी मर्दानगी पर लगी इस चोट से तिल मिलाकर उन राजाओं ने रानी दिद्दा का मजाक उड़ाया और उन्हें चुड़ैल रानी का नाम दे दिया. कहा जाता है कि हिंदुस्तान पर कब्जा करने का सपना देखने वाले खूंखार महमूद गजनबी ने 1025 में गुजरात के सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया, जिसके बाद उसने कश्मीर को अपने कब्जे में लेने की योजना बनाई थी. उसे खबर नही थी कि वहां एक शेरनी उसके रास्ते में खड़ी है. रानी दिद्दा ने महमूद गजनबी की सेना से युद्ध लड़ा. साथ ही अपने और अपनी बहादुरी के आगे उन्हें टीकने ना दिया. उन्होंने ऐसी रणनीति अपनाई की गजनबी को राज्य के दायरे में घुसने से ही रोक दिया.