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मां महागौरी अपने भक्तों को प्रदान करती हैं ऐश्वर्य,पंचगंगा घाट पर स्थित है मां का कल्याणकारी मंदिर

धर्म- कर्म

मां महागौरी अपने भक्तों को प्रदान करती हैं ऐश्वर्य,पंचगंगा घाट पर स्थित है मां का कल्याणकारी मंदिर

नवरात्रि का पावन त्योहार हर घर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, जहां भक्तों द्वारा माता के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा बड़े ही धूमधाम से की जाती है. हर दिन माता को प्रिय भोग और उनके प्रिय वस्त्र चढ़ाए जाते हैं. माता के आठवें स्वरूप यानी कि महागौरी की पूजा नवरात्रि के आठवें दिन की जाती है जो अपने भक्तों को ऐश्वर्य प्रदान करती है. माता रानी का बनारस के पंचगंगा घाट पर एक कल्याणकारी मंदिर स्थित है जहां पर सच्चे मन से प्रार्थना करने पर हर मनोकामनाएं पूरी होती है. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह नवरात्रि के आठवें दिन माता के इस आठवें स्वरूप का पूजा पाठ कर सकते हैं और माता के इस रूप के अवतरण के पीछे का कारण क्या है.

मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी का परिचय
मां दुर्गा के आठवें स्वरूप को लेकर पौराणिक कथा के अनुसार यह कहा जाता है कि मां ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की और हजारों वर्ष तक निराहार रही, जिस कारण उनका शरीर काला पड़ गया था, जब उनकी कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए तो उन्होंने मां को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और उनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर अत्यंत कांतिमय बना दिया जिस कारण इनका काला रंग गौर वर्ण जैसा हो गया। उसके बाद मां पार्वती के स्वरूप को महागौरी के नाम से जाना गया. महागौरी के वस्त्र और आभूषण सभी सफेद है, इसलिए माँ को सफेद रंग प्रिय है. पूजा में भी माँ को सफेद चीज और भोग अर्पित किए जाते हैं. सफेद रंग प्रिय होने के कारण इन्हें श्वेतांबर धरा भी कहा गया है. माँ को रोली, कुमकुम लगाए. साथ ही साथ मिष्ठान, पंचमेवा, फल अर्पित करें मां को काले चने का भोग अवश्य लगाए . अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है. इसके बाद माता की आरती करके पूजा संपन्न करें.

बनारस के पंचगंगा घाट पर स्थित माता महागौरी के दिव्य मंदिर का परिचय
माता का यह मंदिर काशी के पंचगंगा घाट पर विराजित है. काशी में स्थित महागौरी मंदिर करोड़ों भक्तों के लिए बेहद ही खास है. यहां पर सच्चे मन से मां के दर्शन करने पर पापों से मुक्ति मिलती है. नवरात्र के दिनों में मां के ऊपर लाल रंग की चुनरी और फूल अर्पण किए जाते हैं. जब माता गौरी भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर सब कर रही थी तो उसे दौरान माँ कृष्ण वर्ण हो गई थी लेकिन भगवान शिव ने गंगाजल से देवी को गौर वर्ण का कर दिया था. यहां पर माता श्वेत वस्त्र धारण किए हुए वृषभ पर विराजमान है जो बेहद दयावान भी है.

माता के स्वरूप की पूजा करने से भक्तों को क्या-क्या आशीर्वाद मिलते हैं
1. मां महागौरी की पूजा अर्चना करने से विवाह में आ रही समस्याएं दूर हो जाती है.

2. पूरे मन और सच्ची श्रद्धा से माता की पूजा करने से मनपसंद जीवनसाथी की प्राप्ति होती है.

3. आपके सारे संकट दूर हो जाते हैं और आपको पापू से मुक्ति मिलती है.

4. घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. साथ ही साथ व्यक्ति को सुख समृद्धि के साथ सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

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