Connect with us

भारत के लोकतंत्र को कमजोर कर रहा रेवड़ी कल्चर, सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर समस्या बता कर मांगी रिपोर्ट

फोकट का ज्ञान

भारत के लोकतंत्र को कमजोर कर रहा रेवड़ी कल्चर, सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर समस्या बता कर मांगी रिपोर्ट

हम किसी भी सरकार को 5 साल के लिए चुनते हैं लेकिन ये पूरे 4 साल आंखें मूंद कर बैठे रहते है और जैसे ही चुनाव आने वाला रहता है तो कुछ महीने पहले यह पूरी तरह सक्रिय हो जाते हैं. आखरी में जनता के टैक्स का पैसा जनता पर लुटाकर वोट बटोरने का कोशिश करते हैं. लोकतंत्र की पवित्रता को नष्ट करने वाले मुफ्त उपहार से लाभान्वित होने वाले गरीबों के बारे में मध्यम वर्ग और अमीर तबके की आम धारणा एक विशेष अधिकार के अलावा और कुछ नहीं है. यह कहना गलत नहीं होगा कि रेवड़ी संस्कृति लोकतंत्र और अर्थतंत्र का बेड़ा गर्क कर रही है. यह राजनीति न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है बल्कि देश की आर्थिक स्थिति पर भी नकारात्मक प्रभाव डालने वाली है. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह रेवड़ी संस्कृति राजनीतिक दलों का एक बहुत बड़ा हथियार बन चुकी है जिसके तहत वह तमाम वादे करने से नहीं चुकते हैं. अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्ति दिखाते हुए उन राजनीतिक पार्टियों को आडे़ हाथ लिया है, जो चुनाव से पहले इसे अपना हथियार बना रहे हैं.

रेवड़ी कल्चर का परिचय
दुनिया भर में राजनीतिक पार्टियां वोटरों को रिझाने के लिए मुफ्त योजनाओं या यू कहे कि फ्रीबीज का ऐलान करती है. भारत में इसकी शुरुआत तमिलनाडु से मानी जाती है. जब 2006 में तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने थे. उस वक्त डीएमके ने सरकार बनने पर सभी परिवारों को फ्री में कलर टीवी देने का वादा किया था. उनका तर्क था कि हर घर में टीवी होने से महिलाएं साक्षर होगी. इसके लिए 750 करोड रुपए का बजट भी लगाया गया और आज स्थिति यह है कि राजनीतिक पार्टियां मुफ्त में बिजली और अन्य कई तरह की सेवाएं देकर चुनाव से पहले लोगों को लालच देते हैं. अगर प्राकृतिक आपदा या महामारी के समय दवाई, खाना या पैसा मुफ्त में बांटा जाए तो यह फ्रीबीज नहीं है, लेकिन आम दिनों में ऐसा होता है तो इसे गलत माना जाता है. मुफ्त सुविधाओं पर ज्यादा जोर देने से राज्य की वित्तीय स्थिति प्रभावित होती है और सरकार कर्ज के जाल में फंस जाती है.
गुजरात में बीते विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने लोगों को कई चीजे मुफ्त देने की बात कही थी, जिसमें बताया गया था कि यदि आम आदमी पार्टी की सरकार बनती है तो 18 वर्ष के ऊपर की सभी महिलाओं को ₹1000 प्रति महीने दिए जाएंगे. इसके अलावा उन्होंने गुजरात में महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा देने का वादा किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने इस कल्चर के खिलाफ क्या कहा*
चुनाव से पहले इस मामले में गंभीरता से चर्चा हुई इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका भी जारी किया है. तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश और एनवी रमणा ने कहा है कि रेवड़िया किसी पर राजनीतिक दल की जीत की गारंटी नहीं है और यदि मतदाता को विकल्प दिया जाता है तो वह रेवड़ियों के झांसे में आने के बजाय सम्मानजनक कमाई का चुनाव करेंगे. न्यायालय ने एक ऐसी समिति बनाने का सुझाव दिया है जिसमें केंद्र सरकार चुनाव आयोग के साथ-साथ नीति आयोग रिजर्व बैंक और विभिन्न दलों के प्रतिनिधि शामिल है. इस मामले में मध्य प्रदेश और राजस्थान को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. साथ ही चुनाव आयोग से चार सप्ताह के अंदर जवाब भी मांगा है.

आगे पढ़ें
You may also like...

journalist

More in फोकट का ज्ञान

To Top