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“मुजफ्फर खान” के नाम से 1875 में बना था, लीची के लिये विश्व प्रसिद्ध बिहार का चर्चित शहर मुजफ्फरपुर.

फोकट का ज्ञान

“मुजफ्फर खान” के नाम से 1875 में बना था, लीची के लिये विश्व प्रसिद्ध बिहार का चर्चित शहर मुजफ्फरपुर.

आज मुजफ्फरपुर की धाक- धमक पूरे विश्व में है. इसके कारण ढ़ेरो है, लेक़िन शाही और चाइना लीची का उत्पादन सबसें प्रमुख वजहों में से एक है. इस शहर को इसी वजह से लीची सिटी भी कहा जाता है. बंगाल से विभाजित बिहार का इतिहास बेहद पुराना है.

मुजफ्फरपुर शहर बिहार विभाजन से पहले ही 18 वी शताब्दी में बन गया था. 1911 में बंगाल से बिहार के विभाजन के बाद यह उत्तर बिहार का प्रमुख केंद्र बना. ब्रिटिश शासन काल के समय यह जगह कई घटनाओं का गवाह भी रहा. अंग्रेजो द्वारा तिरहुत के इलाकों का विभाजन कर मजफ्फरपुर को तिरहुत का पहला शहर बनाया गया . इस शहर की स्थापना 1875 में अंग्रेजी राजवंश के ही एक अमिल ( राजस्व अधिकारी ) मुजफ्फर खान के नाम पर किया गया. मुजफ्फरपुर की भूमि का इतिहास तो बेहद पुराना है.. लेक़िन नगर का विभाजन और नामकरण के दृष्टिकोण से इतिहास के पन्नो पर वर्तमान मुजफ्फरपुर की यही कहानी दर्ज है.

मुजफ्फरपुर के इतिहास को वास्तविक रूप से अगर समझने का प्रयास करें तो, इस इलाके के अस्तित्व का मूल उद्भव पता लगाना असंभव है. भारतीयता के दृष्टिकोण से रामायण काल के बारे में हम पढ़े तो यह नगर उस वक्त भी अस्तित्व में था. मुजफ्फरपुर तब मिथिला और लिच्छवी की साझी धरती थी. माता सीता, विदेह की राजकुमारी थी, उनका जन्म वर्तमान के सीतामढ़ी में हुआ है, अभी हम जिस सीतामढ़ी शहर को देखते है, वह 1972 तक मुजफ्फरपुर का ही हिस्सा था. इससे पूर्व की बात करें तो माता सीता की जन्मभूमि भी मुजफ्फरपुर ही कही जाती थी, बाद में नगर विस्तार के वजह से सीतामढ़ी को मुजफ्फरपुर से अलग जिला बना दिया गया.

भारत के दर्ज इतिहास की बात करें तो अभी का मुजफ्फरपुर तब लिच्छवी के नाम से प्रचलित था. अजातशत्रु ने वैशाली के साथ- साथ लिच्छवी के इस इलाके पर भी अपना कब्जा जमा लिया था.. वर्तमान में भी वैशाली का इलाका मुजफ्फरपुर से मात्र 40 किलोमीटर की दूरी पर ही है. वैशाली की प्रसिद्ध नर्तकी आम्रपाली का गांव अंमबरती भी मजफ्फरपुर से लगभग इतनी ही दूरी पर है. ह्युंन सांग की यात्रा से पाल राजवंश के उदय तक, वर्तमान का मुजफ्फरपुर नगर उत्तर भारत के प्रसिद्ध राजा हर्षवर्धन के अधीन था..

समय के साथ भारत पर मुग़ल आक्रमण का दौर शुरू हुआ, तब सन 1211 और 1226 के बीच, बंगाल का शासक एक मुस्लिम आक्रमणकारी- घैसुद्दीन इवाज ने पहली बार तिरहुत पर आक्रमण किया, तब वह बुरी तरह पराजित हो गया बाद में सन 1323 में ही एक मुग़ल आक्रांता, घायसुद्दीन तुगलक ने जिले के ऊपर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया.

मुजफ्फरपुर का इतिहास सिमरॉव वंश (चंपारण के पूर्वोत्तर भाग में) और इसके संस्थापक नुयुपा देव से भी जुड़ा है. इन दोनो ने पूरे मिथिला और नेपाल पर अपनी शक्ति बढ़ा दी थी.. वर्तमान का मजफ्फरपुर इतिहास के दृष्टिकोण से बेहद सम्पन्न रहा है..

ब्रिटिश काल से आज़ादी लेने के क्रम में सन 1908 में ही युवा बंगाली क्रांतिकारी खुदीराम बोस को यही प्रिगल कनैडी के गाड़ी पर बम फेंकने के आरोप पर फांसी पर लटका दिया गया था… मुजफ्फरपुर युवा क्रांतिकारी खुदी राम बोस के शहादत की धरती रही है… इसके आगे भी मुजफ्फरपुर का इतिहास चंपारण सत्याग्रह और गांधी जी के मुजफ्फरपुर आगमन से जुड़ा है… बक्सर के युद्ध और 1857 में आजादी के प्रथम लड़ाई में भी इस नगर की बहुत बड़ी भूमिका रही है…

  • मुजफ्फरपुर के इतिहास को शब्दों में लिख देना बेहद ही जटिल प्रकिया है… यह नगर बेहद पुराना है… इस लेख को और आगे बढ़ाने का मेरा प्रयास जारी रहेगा..

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