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बिहार के लोक संस्कृति का धनी कलाकार – भिखारी ठाकुर

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बिहार के लोक संस्कृति का धनी कलाकार – भिखारी ठाकुर

बिहार के सारण जिले में जन्म लेने वाले भिखारी ठाकुर हमेशा से ही सामाजिक कार्य से जुड़े रहे थे, पर जब उन्होंने नाटक और लेखन का काम शुरू किया तो यहीं से वह लोगों के बीच मशहूर हो गए. भिखारी ठाकुर बिहार के वह कलाकार थे जिसने भोजपुरी को एक नई पहचान दिलाई है. भले ही भिखारी ठाकुर आज हमारे बीच नहीं है पर उन्होंने भोजपुरी भाषा को नई ऊंचाई और पहचान दिलाने का जो कार्य किया है वह कोई नहीं भूल सकता है, जब बिते दौर में लोगों के पास मोबाइल और टीवी नहीं होते थे तो भिखारी ठाकुर ही थे जो लोक जागरण, रंगमंच के माध्यम से भोजपुरी में लोगों का मनोरंजन करते थे और भोजपुरी भाषा को लोगों तक पहुंचाते थे. इसके साथ ही उन्होंने लोगों का मार्गदर्शन भी किया है और एक समय ऐसा आया कि भिखारी ठाकुर के नाटकों की गूंज हर गली गली तक लोगों को सुनाई पड़ने लगी.

भिखारी ठाकुर की रचनाएं और उनके नाटक ने उन्हें पद्मश्री दिलाया और आज उन्हें आज हम भोजपुरी के शेक्सपियर के रूप में जानते हैं, जिन्होंने भोजपुरी संस्कृति को एक अलग पहचान दिलाई है. कहा जाता है कि अपने नाटक ‘विदेशिया’ और ‘बेटी बेचवा’ से ही भिखारी ठाकुर ने पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई. इसकी कहानी सुनकर हर किसी की आंखों में आंसू वाला लाजमी हो जाता था. बाद में विदेशिया पर फिल्म भी बनाई गई.
अपने सरल स्वभाव से भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी के हर अंदाज को खास बना दिया था. आज भले ही भिखारी ठाकुर हमारे बीच नहीं है पर उनकी रचनाएं हमारे बीच हमेशा जीवित रहेंगी.

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