लोकनायक कहलाने वाले जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारण में हुआ था, जो अपने अहिंसक व्यक्तित्व के लिए सबसे ज्यादा लोकप्रिय माने जाते थे. पटना से उन्होंने भले ही अपनी पढ़ाई की शुरुआत की पर आगे उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए अमेरिका का रुख किया. देखा जाए तो उन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों की मदद करने में और प्रेरणा देने में व्यतीत कर दी. आज के नेताओं से वह काफी अलग थे. उनमें सत्ता की लिप्सा बिल्कुल भी नहीं थी. वे सत्ता की कीचड़ में केवल सेवा का कमल खिलाने वाले व्यक्ति थे.
जयप्रकाश नारायण का नाम आज ऐसे लोगों में शामिल है जिन्होने सत्ता, जाति, धर्म से ऊपर उठकर अपने विचारों की सही दिशा तय की. साल 1999 में उनके मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. आज पटना का हवाई अड्डा और दिल्ली का सबसे बड़ा अस्पताल लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नाम पर रखा गया है.
साल 1970 को जयप्रकाश नारायण को इंदिरा गांधी के खिलाफ विद्रोह करते देखा गया था, जहां इंदिरा गांधी के खिलाफ जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति की शुरुआत की, जिसमें वह बेरोजगारी मिटाना, भ्रष्टाचार हटाना, शिक्षा में क्रांति जैसे कई बातों को लेकर कांग्रेस सरकार का विरोध कर रहे थे. इस संपूर्ण क्रांति में सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, राजनैतिक, आर्थिक और आध्यात्मिक शामिल थे. इस क्रांति की शुरुआत भले ही बिहार से हुई थी पर इसकी ज्वाला देश के कोने-कोने में जाकर भड़क रही थी और नतीजा यह हुआ कि यह क्रांति लोगों के घर-घर तक जा पहुंची और आज बिहार की राजनीति में लोकप्रिय माने जाने वाले लालू यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान सब उसी क्रांति का हिस्सा थे और देखते ही देखते यह क्रांति की आग इस तरह से फैलनी शुरु हो गई कि केंद्र में बैठी कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा.
कहा जाता है कि अगर महात्मा गांधी के बाद कोई दूसरा महात्मा था तो वह जयप्रकाश नारायण हीं थे, क्योंकि दोनों की सोच काफी हद तक एक दूसरे से मिलती थी और दोनों देश हित के बारे में सबसे ज्यादा सोचते थे, जिस प्रकार से महात्मा गांधी एक संत आदमी थे जयप्रकाश नारायण भी उसी स्वभाव के थे जो हमेशा अपने जनता को सर्वोपरि रखते थे. कहा जाता है कि महात्मा गांधी ने हमारे देश को आजाद करने के लिए अंग्रेजी के खिलाफ लड़ाई लड़ी तो हमारे जयप्रकाश नारायण ने भी लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए आवाज उठाई और लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की. किसी भी परिस्थिति में जयप्रकाश नारायण ने सत्य और अहिंसा का हथियार नहीं छोड़ा. उन्होने अपने अहिंसक व्यक्तित्व से देश को एक किया और आज उनकी छवि बाकी लोगों से इसलिए सबसे भिन्न है.