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राजीव गांधी के मौत की कहानी, जानिये रोचक बातें –

किस्सा- कहानी

राजीव गांधी के मौत की कहानी, जानिये रोचक बातें –

हमारे देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौत एक बम धमाके में जरूर हुई थी पर यह बम धमाका पूरी प्लानिंग के साथ करवाया गया था. आइए आपको ले चलते हैं उस रैली की तरफ जिस दिन एक धमाके ने राजीव गांधी की सांसे रोक दी और आखिर किसके कहने पर राजीव गांधी कि उस रैली में बम धमाका कराया गया था.

वह 21 मई 1991 का दिन था जब तमिलनाडु लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार प्रसार करने में जुटे राजीव गांधी ने पूरी तरह से एड़ी चोटी का जोर लगाना शुरू कर दिया था. रात 10:00 बजे तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में कांग्रेस द्वारा एक जनसभा का आयोजन किया जाना था, जिसमें लाखों की संख्या में लोग पहुंचने वाले थे, पर किसी को उम्मीद नहीं थी कि नारो के जगह उस रैली में चीखें सुनाई देंगी.
योजना के मुताबिक सब कुछ सही से चल रहा था. काफी संख्या में लोग भी इकट्ठा हो गए थे और कांग्रेस जिंदाबाद के जमकर नारे लगाए जा रहे थे. इसी बीच एक जोरदार धमाका होता है और उस पूरे रैली की तस्वीर बदल जाती हैं. हर तरफ लाशो की बौछार होती है. इस बीच वहां लाशों का ढेर इस प्रकार था कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को पहचानना भी मुश्किल हो गया था, पर उन्होंने जो हाथ में घड़ी पहनी थी उससे उन्हें पहचाना गया.

यह धमाका इतना खतरनाक था कि हर तरफ अंधकार छा गया था और चारों तरफ उस पल केवल चीखें सुनाई दे रही थी. कोई खून से लथपथ था तो कोई अपनी आखिरी सांसें गिन रहा था. इस बीच राजीव गांधी भी जमीन पर पीठ के बल पड़े नजर आए पर वह केवल उनका शरीर था. उस भीषण बम धमाके में उनका सिर पहले ही फट चुका था.

जानकारी दे दे कि चार आतंकी जिसमें बेबी सुब्रमण्यम, मुथुराजा, मुरूगन और शिवराजन राजीव गांधी के उस रैली में बम धमाका करने की साजिश बना चुके थे, जिसके लिए इन चारों ने एक कंट्रोल रूम बना लिया था, जहां पर अपनी इन साजिशों को अंजाम देते थे.
सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि राजीव गांधी की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से इंतजाम किए गए थे. दो सुरक्षाकर्मी मेटल डिटेकटर के साथ मौजूद थे और चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा होने के बाद भी इस तरह का हादसा आखिर कैसे हो सकता है.

राजीव गांधी की मौत की खबर जब सोनिया गांधी तक पहुंची तो सोनिया गांधी का सबसे पहला सवाल यही था कि क्या राजीव जिंदा है….
राजीव गांधी की मौत की खबर सुनते ही सोनिया गांधी अपना सुध बुद खो बैठी और उन्हें अस्थमा का अटैक आ गया और जमीन पर बैठकर चीख चीख कर रोने लगी.

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