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कौन था लेनिन, इतिहास और उस के विचार से क्यों होता है लोकतंत्र का नाश

किस्सा- कहानी

कौन था लेनिन, इतिहास और उस के विचार से क्यों होता है लोकतंत्र का नाश

व्लादीमीर लेनिन का असली नाम व्लादीमीर इलिच उल्यानोव था. उनका जन्म 22 अप्रैल 1870 को रूस के वोलगा नदी के किनारे बसे शहर सिमर्स में हुआ था. पढ़े लिखे और रहीस परिवार में जन्म लेने वाले व्लादीमीर बाद में दुनिया भर में लेनिन के नाम से विख्यात हुए.उनके पिता विद्यालयों में निरीक्षक थे. जब ग्रेजुएशन के बाद वह लाँ पढ़ने गए तो चरमपंथी नीतियों की वजह से उन्हें यूनिवर्सिटी से बाहर निकाल दिया गया लेकिन उन्होंने साल 1891 में बाहरी छात्र के रूप में लॉ की डिग्री हासिल की. जब वह सेंट पीटर्सबर्ग के लिए रवाना हुए तो वहां पर प्रोफेशनल रिवॉल्यूशनरी बन गए जहां कई समकालीन लोगों की तरह उन्हें गिरफ्तार कर निर्वाचित जीवन बिताने के लिए साइबेरिया भेज दिया गया. साल 1901 में व्लादीमीर रिलीज ने लेनिन नाम को अपनाया.

व्लादीमीर लेनिन बीसवीं सदी के अग्रणी रूसी राज नेता विश्व इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली व्यक्ति थे. 1917 से 1924 तक व्लादीमीर लेनिन सोवियत रूस की सरकार के प्रमुख थे. हालांकि लेनिन को काफी विवादित और भेदभाव फैलाने वाला नहीं नेता भी माना जाता है लेनिन को उनके समर्थक समाजवाद और कामकाजी सत्य का चैंपियन मानते हैं, जबकि आलोचक उन्हें ऐसी तानाशाही सत्ता के अगुआ के रूप में याद करते हैं.

कहा जाता है कि रूस के इतिहास में लेनिन की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका थी. साल 1889 मे लेनिन ने स्थानीय मार्क्स वादियों का संगठन बनाया था. उसके बाद ही उन्होंने कई किताबें लिखी है. लेनिन मार्क्सवादी विचारक थे. साल 1917 में उनके ही नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना हुई थी. मार्क्सवादी विचारों को लेनिनवाद के नाम से भी जाना जाता है.

24 जनवरी 1924 को लेनिन का निधन हुआ लेकिन उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया. उनके शव को एंबाम किया गया और वह आज भी मॉस्को के रेड स्क्वायर में रखा गया है.

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