उड़ीसा के बालासोर में तीन ट्रेनों की दुर्घटना इतिहास की तीसरी सबसे बड़ी रेल दुर्घटना का गवाह बन चुकी है. रात के करीब 7:00 बजे यह घटना हुई. चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस का गलत ट्रैक चेंज हो जाने की वजह से लूप लाइन पर खड़े मालगाड़ी से जोरदार टक्कर हुआ. कोरोमंडल के डब्बे बगल के डाउन लाइन तक बिखर गए. दूसरी ओर से डाउन लाइन पर बेंगलुरु हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस आ रही थी जिसका टक्कर कोरोमंडल के डिब्बों से हुआ और सब कुछ तबाह हो गया.
उड़ीसा,बालासोर में हुए घटनाक्रम और विवरण: रेल दुर्घटना में बेंगलुरु- हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार- चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी शामिल है. दरअसल हावड़ा जाने वाली ट्रेन के कई डिब्बे बालासोर जिले के बहनागा बाजार में पटरी से उतर गए और पास की पटरी पर जा गिरे. वहीं दूसरी ओर से शालीमार- चेन्नई सेंट्रल एक्सप्रेस जो उस बगल की पटरी पर से आ रही थी वह पहली वाली ट्रेन के पटरी से उतरे डिब्बे से टकरा गई और फिर उसके डिब्बे पलट गए. यह कहा जा रहा है कि बेंगलुरु- हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस को करीब ढाई घंटे पहले निकलना था मगर वह देर से चली थी, जिस कारण यह हादसा और भीषण हो गया. अगर यह ट्रेन अपने समय पर चलती तो किसी इतनी बुरी परिस्थिति नहीं होती.
भारत में हुई बड़ी रेल दुर्घटना भारत में इससे पहले कई बड़ी रेल दुर्घटना हो चुकी है, जिसमें दो और सबसे प्रमुख है जिसने सैकड़ों से ज्यादा लोगों की जाने ले ली और हजारों परिवारों को तहस-नहस कर दिया. 20 अगस्त 1995 को उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस और कालिंदी एक्सप्रेस के आपस में भिड़ने के कारण 358 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद इसी तरह की दूसरी रेल दुर्घटना हुई जिसमें 2 अगस्त 1999 को असम के पास गेटसन में ब्रह्मपुत्र मेल और अवध असम एक्सप्रेस की टक्कर में करीब 290 लोगों की जान चली गई. इसके बाद भारत के इतिहास की यह तीसरी सबसे बड़ी रेल दुर्घटना ओडिशा के बालासोर जिले की है जहां 3 ट्रेनों के बीच हादसे में 300 से भी ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 1000 से भी ज्यादा लोग घायल हैं.
कैसे दुर्घटना हो सकती है कम: इस तरह बार-बार सैकड़ों लोगों की जान से खिलवाड़ ना करने के लिए सबसे पहले हमें उन पहलुओं पर गौर करना होगा जिससे रेल दुर्घटना कम हो सकती है. यदि ट्रेन में किसी तरह की कोई गड़बड़ी या नुकसान दिखे तो उसे जल्द से जल्द ठीक करना चाहिए, जांच करे कि ट्रैक जो बिछाए गए हैं वो सही है या नहीं, पहियों की नियमित रूप से जांच होनी चाहिए. रेलवे से जुड़े इंजीनियर गार्ड और रेल ऑपरेशन से जुड़े सभी लोगों को आधुनिक रूप से प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए, ताकि वह पूर्ण रुप से इसमें मदद कर सके. इसके अलावा मजबूत रखरखाव और कुशल संचार व्यवस्था इस घटना को कम कर सकती है. देखा जाए तो देश में अभी तक जितनी भी रेल दुर्घटना हुई उसका मुख्य कारण ड्राइवर की गलती, रेलवे ट्रैक पर तोड़फोड़, सिग्नल मैन की लापरवाही और मशीन की खराबी सबसे प्रमुख मानी जाती है.