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बैकफुट पर आए पहलवान, 2024 से पहले क्या होगा उनका प्लान।

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बैकफुट पर आए पहलवान, 2024 से पहले क्या होगा उनका प्लान।

देश के लिए ना जाने कितने मेडल जीतने वाले पहलवानों की इस वक्त ऐसी दुर्दशा हो चुकी है कि उन्हें अपने हक के लिए सड़कों पर उतरना पड़ा और उन्हें अपनी बात कहने के लिए न जाने क्या-क्या करना पड़ रहा है। यह एक ऐसा आंदोलन माना जा रहा है जिसने देश की राजनीति को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है. चुनाव से पहले आंदोलन में शामिल कई नेता इन पहलवानों की आड़ में अपनी किस्मत चमकाने की कोशिश भी करने लगे है. आज पहलवानों को वह दिन देखना पड़ रहा है कि दुनिया के विभिन्न कोनो में जाकर भारत के लिए गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बावजूद उन्हें सड़कों पर सोना पड़ रहा है.

पहलवान आंदोलन का परिचय : 18 जनवरी 2023 से इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी. देश के प्रमुख पहलवानों में सुमार विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया ने दिल्ली के जंतर मंतर पर साथ ही महिला पहलवान के साथ कथित तौर पर हुए उत्पीड़न की आवाज उठाई. पहलवानों के आरोप पर खेल मंत्रालय ने जांच के लिए कमेटी का गठन किया था. जब कोई निष्कर्ष नहीं निकला तो पहलवानों ने फिर से धरने पर बैठने का फैसला लिया। पहलवानों की मांग है कि जब तक बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी नहीं होती है तब तक उनका यह धरना जारी रहेगा.

धरना के दौरान दिल्ली में पैदल मार्च करते पहलवान।

बृजभूषण सिंह का परिचय और उन पर लगे आरोप : दबंग नेताओं में से एक गिने जाने वाले बृजभूषण सिंह बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी हैं. कुश्ती महासंघ को मनमाने ढंग से चलाने का इन पर आरोप लगा है. छात्र जीवन से ही वह राजनीति में काफी सक्रिय रहे हैं. अयोध्या के अखाड़े में उनका युवा जीवन गुजरा है. इन पर विनेश फोगाट ने नेशनल कैंप में महिला रेसलर के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और इनकी गिरफ्तारी की मांग भी की थी. बृजभूषण सिंह पर तानाशाही, अपशब्द का प्रयोग, मानसिक प्रताड़ना और आवाज उठाने पर धमकाने का भी आरोप लगा है.

पहलवानों के समर्थन में दिए गए पांच प्रमुख व्यक्ति का व्यक्तित्व :यूं तो पहलवानों को पूरे देश में समर्थन भी मिल रहा है और विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है परंतु कुछ मशहूर भारतीय खिलाड़ियों ने पहलवानों का समर्थन किया है। भारत के लिए पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा ने पहलवानों का समर्थन करते हुए कहा कि न्याय के लिए पहलवानों को सड़क पर उतरना पड़ा. जो हो रहा है वह कभी भी नहीं होना चाहिए. अभिनव बिंद्रा ने कहा कि हर दिन हम कड़ी मेहनत करते हैं. इस तरह से पहलवानों को देखना दुखद है. भारतीय कुश्ती प्रशासन से उत्पीड़न के खिलाफ हमारे खिलाड़ियों को सड़कों पर उतरना पड़ रहा है. वहीं वर्ल्ड चैंपियनशिप की 2 बार स्वर्ण पदक विजेता निखत जरीन ने कहा कि पहलवानों को इस हाल में देख कर मेरा दिल टूट गया. टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने लिखा कि एक एथलीट और उससे भी अधिक एक महिला के तौर पर यह देखना बहुत मुश्किल है जिसने हमारे देश का नाम रोशन किया है, हम उनके साथ खड़े रहना चाहिए.

पहलवान आंदोलन की वजह से केंद्र के सामने मौजूदा चुनौतियां :जिस तरह से पहलवान सड़कों पर उतर कर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं मौजूदा समय में सरकार के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है. सरकार को जहां एक ओर अपने ही सांसद के खिलाफ कार्रवाई करनी है तो वही देश के मशहूर पहलवानों को इंसाफ भी दिलाना है। लोकसभा चुनाव 2024 में अब ज्यादा दिन शेष नहीं रह गए हैं ऐसी स्थिति में देश की बेटियों आज को सरकार अगर दबाएगी तो इसके राजनीतिक परिणाम अच्छे नहीं होंगे. अगर सरकार बृजभूषण सिंपल कोई कठोर कार्रवाई करती है तो उनके क्षेत्र के समर्थक और उनके जाती के लोग सरकार से खफा हो सकते हैं। इन वजहों से इस मुद्दे को सुलझाना सरकार के लिए दो धारी तलवार पर चलने जैसा है।

जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन करते पहलवान।

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