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सनातन संस्कृति में महत्वपूर्ण है चार धाम यात्रा,इन चार धामों का अवश्य करें दर्शन

धर्म- कर्म

सनातन संस्कृति में महत्वपूर्ण है चार धाम यात्रा,इन चार धामों का अवश्य करें दर्शन

हमने अक्सर कई लोगों को यह कहते सुना होगा कि अगर चार धाम की यात्रा कर ली तो जीवन सफल हो जाता है. यह केवल कहने तक की बात नहीं है. वाकई में इसका काफी बड़ा मतलब होता है. अगर हिंदू मान्यता के अनुसार चार धाम की यात्रा कर ली जाए तो उस व्यक्ति के जीवन में मोक्ष का मार्ग आसान हो जाता है . हर हिंदू को अपने जीवन काल में चार धाम यात्रा अवश्य करना चाहिए, जो हिंदुओं को मोक्ष प्राप्त करने में मदद करेगा. प्राचीन समय से ही चार धाम तीर्थ के रूप में मान्य है लेकिन इनकी महिमा का प्रचार आद्ध शंकराचार्य जी ने किया था. माना जाता है उन्होंने चार धाम व 12 ज्योतिर्लिंगों को सूचीबद्ध किया था.उनके क्रमानुसार उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण में रामेश्वर, पूर्व में पूरी और पश्चिम में द्वारिका है. यह 4 तीर्थ धाम है जो सनातन धर्म में काफी महत्व रखते हैं.चार धाम यात्रा से हमें नए-नए अनुभव होते हैं. हमारी स्मृतियां और हमारी सोच बढ़ती हैं. तीर्थ यात्रा में अक्सर पैदल चलना होता है और पैदल चलने से इंसान को पहाड़ों पर शुद्ध हवा से नई जीवन के संचार का अनुभव होता है. चारों दिशाओं में चार धामों की यात्रा इंसान को अखंड भारत की एकता और विविधता से जोड़ता है.

चारों धामों का परिचय
1. बद्रीनाथ धाम
बद्रीनाथ मंदिर में नाथ नारायण की पूजा होती है और अखंड दीप जलता है. यह भारत के चार धामों में सबसे प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है, जहां प्रत्येक हिंदुओं के जाने की कामना करता है. यह उत्तर दिशा में हिमालय पर अलकनंदा नदी के पास बसा है।
8 मई से 20 नवंबर आप यहां दर्शन कर सकते हैं। मंदिर में दैनिक अनुष्ठान महा अभिषेक रात्रि पूजा के साथ लगभग 4:30 बजे शुरू होता है और शाम की आरती के साथ 9:00 बजे समाप्त होता है। मंदिर आम जनता के लिए सुबह 7:00 बजे खुल जाता है.

2. रामेश्वर धाम
दक्षिण दिशा में तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में समुद्र के बीच रामेश्वर दीप पर यह बसा है. रामेश्वर में भगवान शिव की पूजा लिंग के रूप में की जाती है. यह शिवलिंग 12 द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है. रामेश्वरम चेन्नई से लगभग सवा 400 मील दक्षिण पूर्व में है जो हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों ओर घिरा हुआ एक सुंदर शंख आधारित आकार द्वीप है. मार्च से जून में गर्मियों के बीच आप इसकी यात्रा कर सकते हैं. मंदिर के दर्शन का समय सुबह 4:30 से शाम 6:30 तक है.

3. पुरी धाम
पुरी का जगन्नाथ मंदिर भगवान श्री कृष्ण(जगन्नाथ) को समर्पित है. यह उड़ीसा राज्य के पुरी में है. इस मंदिर को हिंदुओं के चार धामों में गिना जाता है जहां वार्षिक रथयात्रा सबसे ज्यादा प्रमुख है. यहां मुख्य रूप से प्रसाद के रूप में भात चढ़ाया जाता है. अक्टूबर से मार्च तक जगन्नाथपुरी जाने का सबसे अच्छा समय माना जाता है. रविवार को छोड़कर हर रोज सुबह 7:00 बजे से रात 9:00 बजे तक मंदिर खुले रहते हैं.

4. द्वारिका धाम
भारत के पश्चिम में समुद्र के किनारे पर बसा द्वारिका धाम हजारों वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण द्वारा बताया गया था. यही बैठकर उन्होंने सारे देश की बागडोर अपने हाथ में संभाली थी और पांडवों को सहारा दिया था। कृष्ण की भूमि को आज भी पावन माना जाता है जो पश्चिम दिशा में गुजरात के जामनगर के पास समुद्र तट पर स्थित है. नवंबर से फरवरी तक उचित मौसम में आप द्वारिका धाम जा सकते हैं. सुबह 6:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और शाम 5:00 बजे से रात 9:30 बजे तक मंदिर खुली रहती है.

आपकी भी घर में बड़े-बुजुर्गों ने बताया होगा चार धाम के महत्व, अवश्य करें दर्शन.

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