ऐसी स्कीम जिसमें लोगों ने अपने जीवन भर की कमाई लगा दी लेकिन जब उन्हे पैसे की जरूरत पड़ी तो उन्हें पता चला कि अब उनके पैसे नहीं मिलने वाले हैं और अगर पैसे मिलेंगे तो कब मिलेंगे इसकी कोई जानकारी नहीं है. हम बात कर रहे हैं सहारा ग्रुप की जिसकी इस वक्त पूरे देश में जोरो से चर्चा चल रही हैं. तकरीबन कई सालों से लोग अपने पैसे के लिए चक्कर काट रहे हैं पर केवल निराशा हाथ लगी है. आखिर ऐसा क्या हुआ कि शानो शौकत से लाखों कर्मचारियों के साथ अरबों रुपए कमाने वाली सहारा ग्रुप की स्थिति इतनी बदतर हो गई कि अब कर्मचारियों ने भी साथ छोड़ दिया है और जमाकर्ता बस अपने पैसे मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं. इस मामले में ताजा खबर आई है कि मौजूदा भारत सरकार सहारा के निवेशकों को उनका पैसा लौटाने के लिए प्रतिबद्ध है और जल्द ही पैसा लौटाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
सहारा इंडिया ग्रुप का परिचय सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय जिनका जन्म 10 जून 1948 को बिहार के अररिया जिले में हुआ था. कोलकाता में उन्होंने शुरुआती शिक्षा लेने के बाद गोरखपुर के एक सरकारी कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. उन्होंने अपना पहला कारोबार भी वहीं से शुरू किया था. एक छोटे से शहर से बिजनेस शुरू करने वाले इस शख्स ने 36 सालों में दुनिया भर में अपना कारोबार फैला लिया. 1978 में सहारा की शुरुआत करते समय सुब्रत रॉय की जेब में केवल ₹2000 थे. देश से लेकर विदेश तक सहारा समूह की कई करोड़ों की प्रॉपर्टी फैली हुई है. 1978 में सुब्रत रॉय ने सहारा इंडिया परिवार की स्थापना की थी. सहारा समूह हाउसिंग, मनोरंजन, मीडिया, रिटेल स्टेट जैसे तमाम क्षेत्रों में पैर पसार चुका था. सहारा भारत की एक बहु-व्यापारिक समूह है जिसका कामकाज वित्तीय सेवाओं, म्यूचुअल फंड, जीवन बीमा, नगर विकास, हाउसिंग फाइनेंस, रियल स्टेट जैसे अनेक क्षेत्रों में भी विस्तारित रूप से फैला हुआ था. 2004 तक कंपनी भारत में एक सफल ग्रुप के रूप में विस्तार हो गई थी.धीरे-धीरे सहारा ग्रुप उस मुकाम तक पहुंच गया कि लोग उस पर विश्वास करके कंपनी में करोड़ों रुपए इन्वेस्ट कर दिए.
वह बड़ी गलती जिसकी वजह से डूब गया लोगों की उम्मीदों का जहाज पूरे देश में सहारा इंडिया की तूती बोल रही थी, किसी को यह आभास नहीं था कि सहारा जितना बड़ा जहाज भी डूब सकता है. इसी क्रम में वर्ष 2009 आया जब सहारा ने अपनी दो कंपनियों रियल एस्टेट और हाउसिंग इन्वेस्टमेंट को शेयर बाजार में लिस्ट करने का मन बना लिया. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इससे पहले ही सहारा पर कई संगीन आरोप लगने लगे.आरोप यह लगाया गया है कि सहारा अपने निवेशकों को पैसों को गलत रूप से इस्तेमाल कर रहा है. जांच के बाद कंपनी पर आरोप सिद्ध हुए और सेबी ने सहारा के दोनों कंपनियों पर 12 करोड़ का जुर्माना लगा दिया.जब सेबी कंपनी सहारा का बायोडाटा जांच रही थी, उस दौरान सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड कटघरे में आ गई, जिसके बाद सेबी को लगा कि उन्होंने गलत तरीके से जनता से पैसे लिए हैं.गड़बड़ी सामने आते ही सेबी ने सहारा के नए OFCD जारी करने पर रोक लगा दी और लोगों के पैसे 15% ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया. परंतु सहारा लोगों के पैसे लौटा ना सका और धीरे-धीरे कानूनी शिकंजे में फंसता चला गया.