वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण भगवान शिव का बृहदेश्वर मंदिर दक्षिण भारत में स्थित है. उसे देख कर दुनिया के बड़े से बड़े वास्तु कलाकार की आंखें चौक जाती हैं. हमारा सनातन धर्म कुछ है ही ऐसा, जिसकी खूबसूरती देखकर हमारा मन पूरी तरह आकर्षित हो जाता है, तभी तो बिना नींव की इतनी ऊंची इमारत आज तक टिकी हुई है और ना जाने कितने हजारों साल तक इसी तरह रहेगी. यह भगवान शिव की महिमा नहीं तो और क्या है. आज हम आपको मंदिर से जुड़े कई ऐसी ऐतिहासिक बातें बताएंगे जिसके बाद आपको इसकी वास्तुकला पर भरोसा हो जाएगा कि किस प्रकार इस मंदिर को बिना सीमेंट या अन्य चीज से जोड़े बिना इसे इतना ऊंचा बनाया गया है.
बृहदेश्वर शिव मंदिर का परिचय भगवान शिव का यह मंदिर सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है। यह तमिलनाडु के तंजौर में स्थित है जो 11 वीं सदी के आरंभ में बनाया गया था. कहा जाता है कि चोल शासक प्रथम राजा राज ने इसका निर्माण करवाया था. उसके बाद उनके नाम पर इसे राज राजेश्वर मंदिर का नाम दिया गया. इस मंदिर की वास्तुकला देखकर आपकी भी आँखे खुली की खुली रह जाएंगी. 13वीं मंजिली इस इमारत की ऊंचाई लगभग 66 मीटर है. 216 फुट की ऊंचाई वाले इस विशाल मंदिर का निर्माण 130000 टन ग्रेनाइट के पत्थरों से किया गया है. सबसे खास बात यह है कि इन पत्थरों को जोड़ने में किसी तरह के सीमेंट या प्लास्टर का इस्तेमाल नहीं किया गया है, बल्कि एक खास तकनीक से पत्थरों को और पजल तकनीक के साथ जोड़कर तैयार किया गया है. लगभग 5 वर्ष लगे थे तब जाकर इस विशाल मंदिर का निर्माण हुआ था. इस मंदिर की दीवार पर भारतवर्ष के कई लोकप्रिय शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम के विभिन्न आसन के चित्र बनाए गए हैं, जिसे देख कर आप का मन पूरी तरह से खुश हो जाएगा. पूरे सप्ताह सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक यह मंदिर खुला रहता है और पुन: शाम को 4:00 से 8:30 बजे तक मंदिर खुला रहता है. नजदीक में ही तिरुचिरापल्ली रेलवे स्टेशन स्थित है जिसकी मदद से कोई भी व्यक्ति यहां पर आ सकता है.
मंदिर से जुड़ी 8 खास बातें 1. इस विशाल मंदिर के गुंबद की छाया पृथ्वी पर कभी नहीं पड़ती है.
2. भगवान शिव की महिमा से यह मंदिर बिना किसी नींव की टिकी हुई है.
3. इस मंदिर के शिर्ष पर रखा पत्थर लगभग 88 टन का है, जिसके ऊपर 12 फीट का सोने का कलश रखा हुआ है.
4. इस मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित किया गया है उनके ऊपर एक विशाल पंचमुखी नाग अपने पंख फैलाए बैठे हैं, जिसे देखकर लगता है कि साक्षात महादेव दर्शन दे रहे हैं.
5. इस मंदिर में भगवान शिव की सवारी नंदी की भी विशालकाय प्रतिमा को स्थापित किया गया है.
6. बृहदेश्वर मंदिर पूरी तरह से प्राकृतिक रंगों में रंगा हुआ है जिसे देखकर आंखों को बहुत ही शांति मिलती है
7. जिस प्रकार के पत्थर और चट्टान से इसका निर्माण किया गया है वह काफी दूर से लाए गए हैं क्योंकि आस-पास कोई पहाड़ी और चट्टानी इलाका नहीं है.
8. इस मंदिर में हर रोज जलने वाले दिए के लिए घी की पुर्ती के हेतु सम्राट राज राज ने मंदिर को 4000 गाय, 7000 बकरियां, 38 भैसे और 2500 एकड़ की जमीन दान में दी थी.