बिहार राज्य के सीवान जिले के कांगड़ा गांव में साल 1912 में मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव उर्फ नटवरलाल का जन्म होता है, जो पढ़ लिखकर वकील बन गया था. यह बात तो हम सभी जानते हैं कि वकील के पेशे में सच को झूठ और झूठ को सच बनाने का हुनर अपने आप आ जाता है और मिथलेश कुमार श्रीवास्तव ने अपने इसी हुनर का सहारा लेकर आगे का रास्ता अपनाया. उसने इतना नाम कमाया कि आज वह केवल मुहावरा बन कर रह गया है. आइए जानते हैं नटवरलाल के बारे में जिसने ना जाने कितने लोगों को चूना लगाया.
कुछ समय बाद नटवरलाल का नाम फरेब और झूठ का पर्यायवाची बन चुका था. मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव को लगभग 50 नामों से जाना जाता था और इन्हीं नामों में से एक था नटवरलाल…….. नटवरलाल ने सबसे पहली चोरी ₹1000 के लिए की थी, जहां उसने अपने पड़ोसी के नकली हस्ताक्षर करके उनके बैंक खाते से यह पैसे निकाले थे. एक बार उनके पड़ोसी ने नटवरलाल के हाथ में एक डिमांड ड्राफ्ट देकर उन्हें बैंक भेजा और कहा कि इसमें से पैसे निकाल कर लाओ और उस डिमांड ड्राफ्ट के सिग्नेचर को नटवरलाल ने हूबहू नकल कर लिया और उसके बाद नटवरलाल का खुराफाती दिमाग हलचल करने लगा. इसके बाद नटवरलाल में किसी भी व्यक्ति के हस्ताक्षर को कॉपी करने की क्षमता कूट-कूट कर भर चुकी थी.
एक बार जब नटवरलाल को डॉ राजेंद्र प्रसाद से मिलने का मौका मिला तो राष्ट्रपति का हूबहू हस्ताक्षर करके नटवरलाल ने एक बार फिर से सबको हैरान कर दिया और यहीं से नटवरलाल के बड़े कारनामों का सिलसिला शुरू हुआ. नटवरलाल वेशभूषा और अपना नाम बदलने में बहुत माहिर था. उसने करोड़ों रुपए के लिए सैकड़ों लोगों को धोखा दिया था, जिसमें टाटा, बिरला, धीरूभाई अंबानी जैसी बड़ी- बड़ी हस्तियां भी शामिल थी. नटवरलाल इन बड़े-बड़े उद्योगपतियों से समाजसेवी बनकर मिलते थे और उसके बाद उनसे बहुत मोटा चंदा लिया करते थे. इतना ही नहीं नटवरलाल ने राष्ट्रपति का नकली हस्ताक्षर करके एक बार देश के राष्ट्रपति भवन को, दो बार लाल किला और तीन बार ताजमहल को भी बेच दिया था और इन सब कारनामों के बाद नटवरलाल बहुत बड़ा अपराधी बन चुका था.
नटवरलाल पर 8 राज्यों में 100 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हो चुके थे. नटवरलाल अपने पूरे जीवन में 9 बार पकड़ा गया था. कहा जाता है कि नटवरलाल बड़े ही नाटकीय तरीके से पकड़ा जाता था और उससे भी ज्यादा नाटकीय ढंग से वह भागने में सफल रहता था. नटवरलाल को 120 साल की सजा हुई थी और अपने जीवन में नटवरलाल ने 20 साल की सजा काटी.