यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि इंटरनेट के आने के बाद पूरी दुनिया अब धीरे-धीरे सिमटती जा रही हैं. आज भले ही लोग इसके लाखों फायदे पर चर्चा करें जो बिजनेस, एजुकेशन और कम्युनिकेशन के साथ-साथ कई क्षेत्रों में खूब इस्तेमाल हो रहा है और दुनिया को एक कदम आगे बढ़कर सोचने का मौका दे रहा है, पर इसका एक डरावना पहलू भी है जिसे हम डार्क वेब कहते हैं. जो लोग साइबर हैकिंग और धोखाधड़ी में शामिल होते हैं वह भी डार्क वेब का ही इस्तेमाल करते हैं. यह किसी भी देश की साइबर सुरक्षा के लिए एक बहुत ही गंभीर खतरा पैदा करती है.
क्या है डार्क वेब जिस प्रकार अंतरिक्ष कितना बड़ा है इसका कोई अनुमान नहीं लगा सकता ठीक उसी प्रकार इंटरनेट की काली दुनिया जिसे कोई नहीं जानता हम उसे डार्क वेब के नाम से जानते हैं. जब इंटरनेट का प्रयोग समाज के उत्थान के लिए नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के स्मगलिंग, धोखाधड़ी और अपराधों के लिए आपत्तिजनक माध्यमों के जरिए किया जाए तो उस इंटरनेट की दुनिया को हम डार्क वेब कहते हैं.आमतौर पर डार्क वेब यूज होने वाले सर्च इंजन से एक्सेस नहीं किया जाता है. डार्क वेब की साइट को टीओआर एंक्रिप्शन के प्रयोग से हाइड कर दिया जाता है. डार्क वेब को साधारण ब्राउज़र से बिल्कुल भी एक्सेस नहीं किया जा सकता. इसके लिए .Com,.in नहीं बल्कि .Onion का इस्तेमाल होता है. यह पता लगाना काफी मुश्किल है कि डार्क वेब पर कितनी वेबसाइट है और किस तरह के लोग यहां पर क्या करते हैं. यहां पर भुगतान के लिए क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल किया जाता है जो कि ब्लॉक चेन सिक्योरिटी पर काम करती है. पहली बार आधिकारिक तौर पर डार्क वेब 2000 के दशक की शुरुआत में फीनेट के निर्माण के साथ सामने आया था. 90 के दशक में अमेरिका जैसे देश ने इसकी शुरुआत की थी. अमेरिकी सेना ने पूरी दुनिया भर में मौजूद अपने एजेंट के साथ खुफिया जानकारी को साझा करने के लिए डार्क वेब को बनाया.
डिजिटल युग को डार्क वेब कौन-कौन सी चुनौतियां दे रहा है भारत में डार्क वेब का इस्तेमाल नशे, चाइल्ड पोर्न और पायरेसी के लिए सबसे ज्यादा किया जाता है. डार्क वेब के जरिए सायनाइड जैसे जहर और खतरनाक नशीली सामान की भी होम डिलीवरी की जाती है. डार्क वेब में ऐसी बहुत से हैकर मौजूद है जिसके वजह से आपका कंप्यूटर या लैपटॉप भी हैक करने की चांसेस और भी ज्यादा बढ़ जाते हैं. यहां पर ज्यादातर काम गैरकानूनी तरीके से किए जाते हैं। आजकल के युवा जो स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं वह गलती से किसी भी लिंक पर यदि क्लिक कर दे तो उनका डिवाइस तुरंत हैक हो सकता है. आपको पल में इससे लूटा भी जा सकता है और पल में अकाउंट के सारे पैसे खाली होने में देर नहीं लगेंगे.यह पूरे देश की सुरक्षा के लिए भी एक खतरा साबित हो सकता है.बहुत जरूरी है की इसे जल्द से जल्द काबू किया जाए.