हिंदुओं का सबसे बड़ा देश माने जाने वाला भारत जहां हजारों से भी ज्यादा देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. भारत में आज कई ऐसे अनोखे मंदिर बने हुए हैं जिसकी महिमा अपरंपार है, पर क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर भारत में नहीं बल्कि कंबोडिया देश में है, जिसकी बनावट के साथ-साथ इसके अंदर की भव्यता को देखकर आप अपनी आंखों पर यकीन नहीं कर पाएंगे. 400 एकड़ में फैले इस मंदिर का इतिहास लगभग 800 वर्ष पुराना है, जिसकी अद्भुत बनावट की वजह से इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों में शामिल किया है. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह इसकी स्थापना हुई और किसके द्वारा स्थापना की गई और इस भव्य मंदिर में किस भगवान की पूजा की जाती है.
अंकोरवाट मंदिर का परिचय कंबोडिया में स्थित अंकोरवाट मंदिर इस बात का प्रमाण है कि हिंदू धर्म का विस्तार केवल भारत तक ही सीमित नहीं है. बल्कि इसकी पुरातन संस्कृति की झलक पूरी दुनिया में देखने को मिलती है. इन्हीं मंदिरों में से एक कंबोडिया का अंकोरवाट मंदिर है, जिसका निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय के शासनकाल में 12 वीं शताब्दी में हुआ था. 400 एकड़ में फैले हुए इस मंदिर का निर्माण सूर्य वर्मन द्वितीय पूरा नहीं करवा पाए जिसके बाद उनके भांजे व अधिकारी धरणीन्द्र वर्मन के शासनकाल में पूरा हुआ. इस मंदिर की जो शिखर है वह 64 मीटर ऊंचा है और अन्य जो सभी 8 शिखर है उसकी 54 मीटर ऊंचाई है. साढ़े 3 किलोमीटर लंबी पत्थर की दीवार से यह मंदिर घिरा हुआ है. इस मंदिर में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की मूर्तियां एक साथ रखी गई है. अंकोरवाट मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां पर विष्णु भगवान का सबसे बड़ा मंदिर स्थापित है. यह मंदिर मीकांग नदी के किनारे सिमरीप शहर में स्थित है, जहां आज भी लोग पूरी श्रद्धा से यहां जाते हैं. इस मंदिर को देखकर यह साफ स्पष्ट होता है कि यह सनातन संस्कृति का साक्ष्य पेश करता है जहां इसकी दीवारों पर हिंदू धर्म ग्रंथों के प्रसंगों का अद्भुत चित्रण है और आप यहां पर अप्सराओं की सुंदर तस्वीर भी देख सकते हैं. यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त देखने का अनुभव भी बेहद शानदार माना जाता है. भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर की दीवारों पर आपको रामायण और महाभारत जैसे कई धार्मिक ग्रंथों के प्रसंग भी देखने को मिलेंगी.
मंदिर की कुछ विशेषताएं 1. इस मंदिर पर जिस तरह की कलाकृति की है उसे देखकर यह समझा जा सकता है कि विदेशों में जाकर इस तरह कलाकारों द्वारा भारतीय कला को जीवित रखा गया. 2. इस मंदिर की दीवारों पर मूर्तियों में पूरी रामायण लिखी गई है. 3. यह मंदिर भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था जो धीरे-धीरे 12वीं शताब्दी के अंत में बौद्ध मंदिर में बदल गया. 4. काफी समय तक गुमनाम रहने के बाद 19वीं शताब्दी के मध्य में फ्रांसीसी पुरातत्वविद हेनरी महूरत के कारण यह मंदिर फिर से अस्तित्व में आया. 5. अंकोरवाट मंदिर कंबोडिया देश का प्रतीक माना जाता है जिसे कंबोडिया के राष्ट्र ध्वज में भी स्थान दिया गया है.