खेल में कभी भी धर्म, जाति नहीं देखा जाता बल्कि खेल एक ऐसी भावना होती है जो सभी को एक कड़ी में जोड़ कर रखती है, पर पाकिस्तान शायद इस भाषा से वाकिफ नहीं है, तभी तो पाकिस्तान की क्रिकेट टीम में अपने आप को बनाए रखने के लिए एक खिलाड़ी को क्रिशचन से मुस्लिम बनना पड़ गया था, क्योंकि उसे पता था कि अगर वह ऐसा नहीं करता तो शायद उसका करियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाता. हम बात कर रहे हैं मोहम्मद यूसुफ की जो कभी यूसुफ युहाना हुआ करते थे, पर परिस्थिति ने उनसे क्या-क्या करवाया यह आज जगजाहिर है. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह पाकिस्तान क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों और वहां के माहौल को देखते हुए उन्होंने इस्लाम कुबूल करने का फैसला लिया.
पाकिस्तानी पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद यूसुफ का परिचय मोहम्मद यूसुफ का जन्म 27 अगस्त 1974 को लाहौर में एक पारंपरिक ईसाई परिवार में हुआ था, जो बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे. गोल्डन जिमखाना में क्रिकेट खेलने के दौरान इनका टैलेंट सबको दिखा जिसके बाद वह प्रसिद्ध फॉर्मन क्रिस्चियन कॉलेज में शामिल हो गए और उसके बाद उन्हें पाकिस्तान क्रिकेट टीम से बुलावा आया. उनके नाम एक कैलेंडर वर्ष में किसी बल्लेबाज द्वारा सर्वाधिक टेस्ट शतक लगाने का रिकॉर्ड आज भी दर्ज है. 1998 में उन्होंने अपने इंटरनेशनल करियर की शुरुआत की थी. दरअसल एक गैर मुस्लिम खिलाड़ी के तौर पर पाकिस्तान क्रिकेट टीम में वह जुड़े थे. वह ईसाई धर्म से थे लेकिन साल 2004 में उन्हें अपना धर्म बदल कर मुस्लिम बनना पड़ा. उन्होंने कई इंटरव्यू में पाकिस्तानी खिलाड़ियों द्वारा भेदभाव की बात कही और बताया कि गैर मुस्लिम खिलाड़ियों के साथ हो रहे भेदभाव के कारण यह फैसला लेना पड़ा. पाकिस्तान एक कट्टर मुस्लिम देश माना जाता है और पाक की क्रिकेट टीम में गैर मुस्लिम होने के कारण खिलाड़ियों के साथ भेदभाव किया जाता है. कई बार तो ऐसी स्थिति भी आती थी कि साथ में खाना खाने पर बाकी खिलाड़ी आपत्ति जताते थे. भले ही उन्होंने अपने धर्म बदलने के बाद यह बयान जरूर दिया था कि उन्होंने अपनी मर्जी से इस्लाम कुबूला है पर कहीं ना कहीं उन्हें भी ये बात पता थी कि अगर वह ये कदम नहीं उठाते तो फिर पाकिस्तान क्रिकेट टीम में उनका टिक पाना बहुत ही मुश्किल था.
खेल को धर्म की कट्टरता से रखना चाहिए दूर आज कट्टरपंथ की वजह से पाकिस्तान दुनिया के पिछड़े देशों में गिना जाता है. वहां आए दिन धार्मिक उन्माद और आतंकवादी हमले होते रहते हैं. श्रीलंका क्रिकेट टीम पर पाकिस्तान में हुए आतंकवादी हमले को दुनिया कभी नहीं भूलेगी. पाकिस्तानी हुकूमत को सरकार चलाने और खेलकूद के माहौल को तैयार करने के लिए धार्मिक कट्टरता पर लगाम लगाना होगा. खेल की भावना के लिए यह लाभदायक होगा.