महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों को बेहद ही खास और पूजनीय माना जाता है. जिसे देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग मान्यताओं के साथ पूजते है. इसमें दसवां स्थान नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का आता है मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से पापों का अंत होता है और इंसान को जीवन में सुख समृद्धि मिलती है. विशेष तौर पर इस मंदिर में अगर सावन के महीने में भक्त भगवान शिव के दर्शन करने जाते हैं तो उनका जीवन सफल हो जाता है और भगवान शिव इस महीने में अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह गुजरात के द्वारकापूरम में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई.
गुजरात के द्वारकापूरम में स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का परिचय नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका धाम से 17 किलोमीटर बाहरी क्षेत्र में स्थित है. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग तीन मुखी वाला रुद्राक्ष है जिसे भगवान शिव के आंसू भी कहे जाते हैं. यहां का ज्योतिर्लिंग मंदिर के गर्भ गृह में स्थित है. मंदिर के अंदर भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती की एक सफेद पत्थर की मूर्ति भी है. पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि दारूका नाम की एक राक्षस ने अपने कठिन तपस्या से माता पार्वती को प्रसन्न कर लिया था जिसके बाद माता ने उसे वरदान मांगने को कहा और उसने वरदान में कई प्रकार की दैवीय औषधी मांगी, साथ ही उसने माता पार्वती से सब कर्मों के लिए राक्षसों को वन में जाने का वरदान मांगा. माता पार्वती ने उसकी बात मान ली लेकिन वरदान मिलते ही उसने और अन्य राक्षसों ने वन को देवताओं से छीन लिया और सुप्रिया नाम की एक शिव भक्त को दारुका ने बंदी बना लिया. उस वक्त सुप्रिया ने शिव की कड़ी तपस्या करके राक्षसों के नाश का वरदान मांगा था. उसकी इस कड़ी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव दिव्य ज्योति के रूप में एक बिल से प्रकट हुए और महादेव ने राक्षसों का विनाश कर दिया. सुप्रिया ने भगवान शिव से यहां पर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजने का आग्रह किया और वह यहां नागेश्वर के रूप में हमेशा के लिए विराजमान हो गए. शिव पुराण में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का जिक्र किया गया है जहां सावन के महीने में यदि भक्त दर्शन करते हैं तो उन्हें बहुत बड़ा पुण्य हासिल होता है और भक्त शिवधाम को प्राप्त होते हैं.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की प्रमुख कुछ खास बातें 1. जिन लोगों की कुंडली में सर्प दोष होता है उन्हें यहां धातु से बने नाग-नागिन अर्पित करने चाहिए जिससे नाग दोष से छुटकारा मिलता है.
2. इस मंदिर में भगवान सिंह के पास पक्षियों का झुंड हमेशा घूमते हुए दिखाई देगा.
3. इस मंदिर में पुरुषों को अभिषेक के लिए धोती पहनकर आना अनिवार्य है. यहां आकर कथा सुनने का भी विशेष महत्व है.
4. ऐसी मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग का नाम महादेव ने स्वयं नागेश रखा था.
5. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के परिसर में भगवान शिव की ध्यान मुद्रा में लगी हुई एक बहुत ही बड़ी प्रतिमा लगाई हुई है.
6. मंदिर का गर्भगृह सभा मंडप के निचले स्तर पर स्थित है. यहां स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यम बड़े आकार का है जिसके ऊपर एक चांदी का आवरण चढ़ा हुआ है.