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भारत में तब लोग दूध के लिए मोहताज थे,डॉक्टर कुरियन द्वारा लाए गए श्वेत क्रांति को नहीं भूलेगा भारत

किस्सा- कहानी

भारत में तब लोग दूध के लिए मोहताज थे,डॉक्टर कुरियन द्वारा लाए गए श्वेत क्रांति को नहीं भूलेगा भारत

एक समय था जब भारत के लोग दूध के लिए पाई- पाई मोहताज हुआ करते थे और इसके लिए उन्हें 100 बार सोचना पड़ता था, पर एक ऐसी क्रांति आई जिसने लोगों की स्थिति के साथ-साथ उनके समय को भी बदल कर रख दिया. इसके लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन भारत कई दशको बाद दूध के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना और इतना आत्मनिर्भर बना की जिस भारत को बाहर से दूध या दूध से बने उत्पाद मंगाने की जरूरत पड़ती थी, वह दूसरे देशों को दूध पहुंचाने लगा. जिसमें डॉक्टर वर्गीज कुरियन का सबसे बड़ा योगदान था. यही वजह है कि भारत में हुए श्वेत क्रांति का उन्हें जनक कहा जाता है. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह देश में श्वेत क्रांति आई और इसने कैसे देश की स्थिति को पूरी तरह बदल कर रख दिया.

भारत में कब शुरू हुआ श्वेत क्रांति
1970 में भारत में श्वेत क्रांति की शुरुआत हुई थी. इसके जनक डॉ वर्गीज कुरियन माने जाते हैं. उन्होंने ऑपरेशन फ्लड की शुरुआत की, जिसके तहत इंडियन डेरी कॉरपोरेशन बनाई गई और जब मिल्क प्रोडक्शन की योजना शुरू हुई तो उस समय यह 22000 टन था जो कि कुछ ही सालों में 140000 तक पहुंच गया. इस क्रांति की शुरुआत गुजरात में हुई. पहले चरण में 10 राज्यों में 18 मिल्क शेड्स लगाने का लक्ष्य था. इसके बाद दूसरे चरण में उद्देश्य था कि कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों में डेयरी डेवलपमेंट प्रोग्राम चलाएं. वहीं तीसरे चरण के तहत सफेद क्रांति को और मजबूत विकसित करना था, ताकि दूध का उत्पादन बढे़ और इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी सुधार आए.
वर्गीज कुरियन ने जब अमूल की स्थापना की तो उनका एकमात्र मकसद था कि वह देश को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएं और किसानों की दशा को सुधारें और फिर यहीं से गांव-गांव में कोऑपरेटिव सोसायटी बनने लगी और इतना दूध इकट्ठा होने लगा कि उनकी आपूर्ति मुश्किल होने लगी. इसकी सफलता से प्रसन्न होकर लाल बहादुर शास्त्री ने अमूल मॉडल को अन्य स्थानों पर फैलाने के लिए राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड का गठन किया और फिर अमूल घर-घर में लोकप्रिय हो गया. 26 नवंबर 1921 को मिल्क मैन ऑफ इंडिया कहे जाने वाले डॉक्टर वर्गीज कुरियन का जन्म केरल के कोझीकोड में हुआ था. उन्होंने भारत श्वेत क्रांति के लिए जो योगदान दिया इसी वजह से हर साल 1 जून को वर्ल्ड मिल्क डे मनाया जाता है और वर्गीज कुरियन की इस प्रभावशाली सफर को हमेशा याद किया जाता है.

श्वेत क्रांति के बाद दूध के क्षेत्र में भारत में आए छह महत्वपूर्ण बदलाव
1. श्वेत क्रांति के बाद देश के किसान ज्यादा मवेशियों को पालने लगे, जिस कारण देश में 500 मिलियन तक भैंस और मवेशी हो गए.

2. श्वेत क्रांति के बाद देश में दूध उत्पादन 40 वर्ष में 20 मिलियन मेट्रिक टन से 100 मिलियन मेट्रिक टन हो गया.

3. श्वेत क्रांति के बाद भारत में दूध के ठोस पदार्थों का आयात पूरी तरह से समाप्त हो गया और भारत कई विदेशी देशों को दूध पाउडर पहुंचाने का काम शुरू करने लगा.

4. फार्मिंग के क्षेत्र में रोजगार के अवसर उत्पन्न होने लगे.

5. डेरी कोऑपरेटिव मूवमेंट देश के सभी हिस्सों में नजर आया जिसका फायदा 25 राज्य और 200 से भी ज्यादा जिलों को मिला.

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को श्वेत क्रांति के बारे में बताते डॉक्टर कुरियन.

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