दुनिया में तमाम ऐसे कई गुफा हैं जिन्हें लेकर तरह-तरह की रहस्यमई बातें सामने आती रहती है, पर भारत की एक ऐसी गुफा भी है जिसके बारे में यह कहा जाता है कि दुनिया के अंत का गहरा राज यहीं पर छुपा हुआ है. सूर्य वंश के राजा रितुपर्णा ने इस गुफा की खोज की थी, जहां उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती के दर्शन हुए थे. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह उत्तराखंड के इस मंदिर में चारों धाम के दर्शन होते हैं. यहां पर भगवान शिव का दर्शन करना काफी पुण्य वाला काम माना जाता है, जिसके बाद व्यक्ति का जीवन पूरी तरह से सफल हो जाता है.
उत्तराखंड के पाताल भुवनेश्वर मंदिर का परिचय उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जनपद का मुख्य पर्यटक स्थल माना जाने वाला उत्तराखंड का पाताल भुवनेश्वर मंदिर कई कारणों से चर्चा में छाया रहता है, जो अल्मोड़ा के शेराघाट से होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी तय करके पहाड़ियो के बीच गंगोलीहाट में स्थित है. यह मंदिर समुद्री तल के करीब 90 फीट गहराई पर है. यह गुफा प्रवेश द्वार से 160 मीटर लंबी है. माना जाता है कि इस मंदिर के अंदर 33 करोड़ देवी देवताओं का वास है. पौराणिक कथाओं के अनुसार कलियुग में इस मंदिर की खोज आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में किया था. इस गुफा के अंदर जाने का रास्ता बहुत पतला और संकरा है जिसके लिए कई दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है.इस मंदिर में चार द्वार है. कहा जाता है कि रावण की मृत्यु पर पाप द्वारा बंद कर दिया गया था. वही महाभारत युद्ध के बाद रण द्वारा बंद हुआ. वर्तमान समय में मोक्ष द्वार और धर्म द्वार खुले हैं. कहा जाता है कि भगवान गणेश का कटा हुआ सर इसी मंदिर में गिरा था. इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां का शिवलिंग लगातार बढ़ता जा रहा है और जब यह शिवलिंग मंदिर की छत को छू जाएगा तो दुनिया खत्म हो जाएगी. यहां पर दर्शन करने के लिए आपको काफी इंतजार करना पड़ता है. एक बार में 15 लोगों को ही अंदर जाने की अनुमति होती है. यहां चार खंबे बने हुए हैं जो चारों युगों का प्रतीक माना जाता है, जिनमें से तीन खंबे गिर गए हैं और एकमात्र कलयुग का खंबा बचा है. इस गुफा को देखने के लिए देश-विदेश से कई टूरिस्ट आते हैं. कुदरत के द्वारा बनाया गया यह गुफा किसी करिश्मा से कम नहीं है.
पाताल भुवनेश्वर मंदिर से जुड़ी पांच रहस्यमई बातें 1. कहा जाता है कि नागों के राजा अधिशेष ने यहां पर दुनिया का सारा भार संभाल कर रखा है.
2. इस मंदिर के गुफा में पांडव ने भगवान शिव की पूजा की थी.
3. पाताल भुवनेश्वर के गुफा में भगवान गणेश के कटे सिर के शीला रूपी मूर्ति के ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला ब्रह्म कमल विराजित है, जिस कमल से ब्रहदिव्य बूंद शीला रूपी मस्तक पर टपकती है.
4. कहा जाता है कि महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में विराजमान रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी स्तुति करने यहां आते हैं.
5. जो व्यक्ति इस रहस्यमई पवित्र पाताल भुवनेश्वर गुफा में आकर दर्शन करता है उसे चारों धाम की यात्रा के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है.