Connect with us

पाकिस्तान में स्थित है पंचमुखी हनुमान जी का यह दिव्य मंदिर, रामायण से जुड़ी है कहानी

धर्म- कर्म

पाकिस्तान में स्थित है पंचमुखी हनुमान जी का यह दिव्य मंदिर, रामायण से जुड़ी है कहानी

भारत में आपको कई ऐसे मंदिर देखने को मिल जाएंगे जो अपनी दिव्यता के कारण हमेशा चर्चा में छाए रहते हैं, पर आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं वह मंदिर हिंदुस्तान में नहीं बल्कि पाकिस्तान में है. जिसका इतिहास हजारों साल पुराना है. पंचमुखी के इस हनुमान मंदिर की कहानी रामायण से जुड़ी बताई जाती है. भले ही पाकिस्तान के मुस्लिम समाज की इस मंदिर को लेकर कोई आस्था नहीं है, लेकिन आज भी पाकिस्तान में रह रहे हिंदू समुदाय के लिए यह मंदिर दर्शनीय स्थलों का सबसे प्रमुख और पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है. आज हम आपको बताएंगे कि पाकिस्तान के इस मंदिर का इतिहास क्या है और आखिर किस वजह से यह इतना ज्यादा लोकप्रिय है.

पाकिस्तान के कराची में स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर का परिचय* : पंचमुखी हनुमान का यह मंदिर पाकिस्तान के कराची शहर के सोल्जर बाजार में स्थित है. यह पाकिस्तान के बलूचिस्तान से 120 किलोमीटर दूर हिंगोल नदी के तट पर स्थित है. कहा जाता है की सरहदों के बंटवारों से धर्म भले ही बदल गए लेकिन इतिहास नहीं बदला. इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यह त्रेता युग के समय का मंदिर है, जिसकी कई मान्यताएं भी है. उन दिनों यह मंदिर एक विशाल आकार का हुआ करता था. कई महान राजाओं ने साक्षात यहां पर पूजा अर्चना और सेवा दान भी की है. इस मंदिर में हनुमान जी का पंचमुख स्वरूप- पहली मुख वानर, दूसरा गरुड़, तीसरा वराह, चौथा हयग्रीव या घोड़े का और पांचवा नृसिंह का मुख है और हर एक मुख का अपना एक अलग महत्व है. हनुमान जी के पूर्व वाले मुख को वानर कहा गया है जिसकी चमक सैकड़ो सूर्य के समान है. पश्चिम दिशा की ओर वाला मुख गरुड़ का है जो भक्त के संकट, विघ्न, बाधा निवारक माने जाते हैं. उत्तर दिशा वाला मुख वराह का है जिसकी आराधना करने से धन संपत्ति ऐश्वर्या और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. दक्षिण मुखी स्वरूप भगवान नरसिंह का है जो भक्तों के भय, चिंता, परेशानी को दूर करता है. कहा जाता है कि यह मंदिर जहां है वहां से 11 मुट्ठी मिट्टी हटाई गई है, तब जाकर यह प्रतिमा प्रकट हुई थी. हनुमान जी के अलावा यहां कई हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित है. इस मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति स्वयंभू है, जो जमीन के अंदर से प्रकट हुई है  वर्तमान में जहां मंदिर है वहां एक तपस्वी साधना किया करते थे.

इस मंदिर की रामायण से जुड़ी कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार यह बताया जाता है की रामायण काल के दौरान जब भगवान श्री राम इस स्थान पर आए थे तो वहां उन्होंने कुछ देर के लिए विश्राम किया था और इसी स्थान पर जाकर अपने परम भक्त हनुमान जी को आशीर्वाद दिया था. इसलिए उनके भक्त हनुमान ने यहां स्थापित होने का निर्णय लिया. 18 वीं शताब्दी से इस मंदिर का इतिहास जुड़ा हुआ है जहां 1862 में इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया.

पाकिस्तान स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर के दिव्य दर्शन.

आगे पढ़ें
You may also like...

journalist

More in धर्म- कर्म

To Top