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एक ऐसा मंदिर जहां शनि देव को स्वयं बजरंगबली लेकर आए थे, दर्शन मात्र से होंगे कष्ट दूर

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एक ऐसा मंदिर जहां शनि देव को स्वयं बजरंगबली लेकर आए थे, दर्शन मात्र से होंगे कष्ट दूर



शनि देव की महिमा के बारे में आज कौन नहीं जानता है. जिस पर शनि देव की दिव्य दृष्टि पड़ जाए समझ लो वह भवसागर से पर हो जाता है. मुरैना के एक मंदिर की कहानी भी कुछ ऐसी ही अद्भुत है जहां पर शनिदेव को बजरंगबली लेकर आए थे. यहां पर दर्शन करने का बेहद ही खास महत्व माना जाता है, जहां दुनिया के कोने-कोने से भक्त यहां पर पहुंचते हैं. आज हम आपको इस चमत्कारी मंदिर के बारे में कई खास बात बताएंगे कि आखिर किस तरह इसकी स्थापना हुई और आज किस वजह से यह प्रसिद्ध है.

मुरैना स्थित शनि देव के शनिचरा मंदिर का परिचय : मध्य प्रदेश के ग्वालियर के नजदीक मुरैना के एंती नामक गांव में शनि देव का एक मंदिर है. इस मंदिर की स्थापना 17वीं शताब्दी में चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य ने करवाई थी. इसके उपरांत शनिदेव की महिमा एवं चमत्कारों से प्रभावित होकर ग्वालियर के तत्कालीन महाराजा दौलत राव सिंधिया ने 1808 में मंदिर का जीणोद्धार करवाया था. शनि मंदिर मुरैना में दर्शन करने से व्यक्ति को सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है. इससे शनि दोष का नकारात्मक प्रभाव भी दूर होता है. साथ ही साथ इस चमत्कारी मंदिर में तेल चढ़ाने और छाया दान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है. इस शनिश्चरा मंदिर को लेकर एक बेहद ही रोचक कहानी है. जब भगवान महाबली हनुमान रावण की लंका जलाने वाले थे तब उनकी नजर उस जगह पर पड़ी जहां पर रावण ने अन्य देवताओं के साथ ही शनिदेव को भी बंदी बना रखा था. शनिदेव ने हनुमान जी से रावण की कैद से छुड़ाने का आग्रह किया, जिसके बाद हनुमान ने शनिदेव को रावण की कैद से छुड़ाया. रावण की कैद में रहने से शनि देव कमजोर हो गए थे तो उन्होंने हनुमान से विनती की ताकि वह किसी सुरक्षित जगह पर उन्हें भेज दे. इसके बाद हनुमान जी ने शनिदेव को यहां पर बने पर्वत पर जाकर छोड़ दिया. जब रावण की लंका जली, साथ ही साथ उसके कूल का भी विनाश हो गया. कहा जाता है कि जब शनि देव को रावण की कैद से छुड़वाकर हनुमान जी ने उन्हें यहां छोड़ा था तो शनि देव जिस जगह गिरे थे, वहां एक बड़ा सा गड्ढा हो गया था. यह गड्ढा आज भी मौजूद है. स्थानीय लोगों के मुताबिक शनि धाम के आसपास लौह तत्वों की भरमार है. यहां जमीन से लोहा निकलता है क्योंकि शनि देव का संबंध लोहे से है, इसलिए इस जगह की विशेष मान्यता है.

शनिचरा मंदिर की कुछ चमत्कारी बातें
1. जब से यहां शनिदेव विराजित हुए हैं तब से ग्वालियर क्षेत्र मे लोहा उत्पादन काफी बढा़ है.

2. हर साल जयेष्ठ माह की अमावस्या को शनि जयंती के अवसर पर लगने वाले मेले में देश भर के भक्त अपनी मुराद लेकर पहुंचते हैं.

3. कहा जाता है कि इस मंदिर में शनि देव की प्रतिमा किसी ने नहीं रखवाई बल्कि यह स्वयं आसमान से टूट कर गिरे एक उल्का पिंड से निर्मित है.

4. मंदिर के प्रांगण में छोटा सा पौराणिक पवित्र जलकुंड है जिसे गुप्त गंगा धारा के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें हर समय जल देखने को मिलता है.

5. शनि मंदिर के पास ही पौड़ी वाली हनुमान जी की जमीन पर लेटी हुई प्रतिमा है. यह पूरी पहाड़ी और इसके आसपास के क्षेत्र को सिद्ध क्षेत्र माना जाता है.

शनिचरा मंदिर में स्थित शनि देव की प्रतिमा का दिव्य श्रृंगार.

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